आरटीई के तहत नाममात्र बच्चों का हुआ प्रवेश
जिले में आरटीई के तहत बच्चों को प्रवेश देने की प्रक्रिया काफी धीमी चाल से हो रही है। जिले में 3 हजार 650 बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश दिया जाना है। अब तक मात्र 957 बच्चों को ही प्रवेश दिया जा सका है। इतनी कम संख्या में बच्चों को प्रवेश मिलने से शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर ही प्रश्न चिह्न लग रहा है। दूसरी ओर आरटीई के तहत प्रवेश देने की अंतिम तारीख 30 मई है। ऐसे में शेष ढाई हजार से अधिक बच्चों को मात्र 8 दिन में प्रवेश कैसे दिया जा सकता है। इस संबंध में डीपीसी का कहना है कि प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में नीमच जिले की स्थिति कहीं बेहतर है। अन्य जिलों में तो मात्र 200-250 बच्चों को ही प्रवेश मिल पाया है। इतनी कम संख्या में बच्चों को प्रवेश मिलने से यह तय है कि आरटीई के तहत प्रवेश देने की अंतिम तारीख आगे बढ़ेगी।
जिले में आरटीई के तहत बच्चों को प्रवेश देने की प्रक्रिया काफी धीमी चाल से हो रही है। जिले में 3 हजार 650 बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश दिया जाना है। अब तक मात्र 957 बच्चों को ही प्रवेश दिया जा सका है। इतनी कम संख्या में बच्चों को प्रवेश मिलने से शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर ही प्रश्न चिह्न लग रहा है। दूसरी ओर आरटीई के तहत प्रवेश देने की अंतिम तारीख 30 मई है। ऐसे में शेष ढाई हजार से अधिक बच्चों को मात्र 8 दिन में प्रवेश कैसे दिया जा सकता है। इस संबंध में डीपीसी का कहना है कि प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में नीमच जिले की स्थिति कहीं बेहतर है। अन्य जिलों में तो मात्र 200-250 बच्चों को ही प्रवेश मिल पाया है। इतनी कम संख्या में बच्चों को प्रवेश मिलने से यह तय है कि आरटीई के तहत प्रवेश देने की अंतिम तारीख आगे बढ़ेगी।
बच्चों के प्रमाण पत्र सत्यापन में आ रही परेशानी
आरटीई के तहत स्कूलों में प्रवेश लेने के लिए अभिभावकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी संख्या जन्म प्रमाण पत्र को लेकर आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार की समस्या अधिक है। जन्म के समय बच्चों का नामकरण नहीं होने से जन्मप्रमाण पत्र में नाम नहीं लिखा है। इस कारण अभिभावकों को आरटीई के तहत आवेदन करने में दिक्कतें पेश आ रही है। उनके आवेदन निरस्त किए जा रहे हैं। इसी प्रकार आधार कार्ड, समग्र आईडी आदि में स्पेलिंग मिस्टेक होने पर भी आवेदन खारिज हो रहे हैं, जबकि इस त्रुटि में अभिभावकों की कोई गलती नहीं है। जानकार बता रहे हैं कि आरटीई के तहत आवेदन करते समय केवल यह देखा जाता है कि जिस आधार पर (प्रमाणपत्रों के) आरटीई के तहत बच्चा आवेदन किया गया है वो सही हैं या नहीं। दस्तावेज सही हैं तो आवेदन स्वीकृत किया जाना चाहिए। आगे की प्रक्रिया लॉटरी के बाद अपनाई जाती है। हो इसके उलट रहा है। आवेदन के साथ ही दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है। इससे अभिभावकों विशेषकर अनपढ़ अभिभावकों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
आरटीई के तहत स्कूलों में प्रवेश लेने के लिए अभिभावकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी संख्या जन्म प्रमाण पत्र को लेकर आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार की समस्या अधिक है। जन्म के समय बच्चों का नामकरण नहीं होने से जन्मप्रमाण पत्र में नाम नहीं लिखा है। इस कारण अभिभावकों को आरटीई के तहत आवेदन करने में दिक्कतें पेश आ रही है। उनके आवेदन निरस्त किए जा रहे हैं। इसी प्रकार आधार कार्ड, समग्र आईडी आदि में स्पेलिंग मिस्टेक होने पर भी आवेदन खारिज हो रहे हैं, जबकि इस त्रुटि में अभिभावकों की कोई गलती नहीं है। जानकार बता रहे हैं कि आरटीई के तहत आवेदन करते समय केवल यह देखा जाता है कि जिस आधार पर (प्रमाणपत्रों के) आरटीई के तहत बच्चा आवेदन किया गया है वो सही हैं या नहीं। दस्तावेज सही हैं तो आवेदन स्वीकृत किया जाना चाहिए। आगे की प्रक्रिया लॉटरी के बाद अपनाई जाती है। हो इसके उलट रहा है। आवेदन के साथ ही दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है। इससे अभिभावकों विशेषकर अनपढ़ अभिभावकों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
नहीं हो पा रहे डिजिटल सिग्नेचर
स्कूल संचालकों ने बताया कि एक ओर कलेक्टर हमें फटकार लगा रहे हैं कि हम आरटीई के तहत बच्चों की पूरी जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं कर रहे हैं। दूसरी ओर पिछले एक महीने से स्कूल संचालकों के डिजिटल सिग्नेचर की नहीं हो पा रहे हैं। इस समस्या से कलेक्टर को शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से अवगत नहीं कराया जा रहा है। कलेक्टर यह समझ रहे हैं कि स्कूल संचालक निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। इक्का-दुक्का लोगों के डिजिटल सिग्नेचर हो भी रहे हैं तो उनके ओटीपी नहीं आ रहे हैं। इस कारण भी समस्या हो रही है।
मात्र 957 बच्चों को दिया जा सका है प्रवेश
नियमों में बदलाव किया गया है। अब आरटीई के तहत आवेदन के समय ही दस्तावेजों की पूरी जांच की जा रही है। समग्र, आधार, जन्मप्रमाण पत्र आदि की जांच कर मौके पर ही सत्यापित किया जा रहा है। इससे लॉटरी के बाद अपात्र होने की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। जिले में अब तक 957 बच्चों को प्रवेश दे दिया गया है। जिले में कुल 3 हजार 650 बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश दिया जाना है। काफी कम संख्या में प्रवेश होने से आवेदन करने की अंतिम तिथि बढ़ सकती है।
– डा. पीएल गोयल, डीपीसी
स्कूल संचालकों ने बताया कि एक ओर कलेक्टर हमें फटकार लगा रहे हैं कि हम आरटीई के तहत बच्चों की पूरी जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं कर रहे हैं। दूसरी ओर पिछले एक महीने से स्कूल संचालकों के डिजिटल सिग्नेचर की नहीं हो पा रहे हैं। इस समस्या से कलेक्टर को शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से अवगत नहीं कराया जा रहा है। कलेक्टर यह समझ रहे हैं कि स्कूल संचालक निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। इक्का-दुक्का लोगों के डिजिटल सिग्नेचर हो भी रहे हैं तो उनके ओटीपी नहीं आ रहे हैं। इस कारण भी समस्या हो रही है।
मात्र 957 बच्चों को दिया जा सका है प्रवेश
नियमों में बदलाव किया गया है। अब आरटीई के तहत आवेदन के समय ही दस्तावेजों की पूरी जांच की जा रही है। समग्र, आधार, जन्मप्रमाण पत्र आदि की जांच कर मौके पर ही सत्यापित किया जा रहा है। इससे लॉटरी के बाद अपात्र होने की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। जिले में अब तक 957 बच्चों को प्रवेश दे दिया गया है। जिले में कुल 3 हजार 650 बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश दिया जाना है। काफी कम संख्या में प्रवेश होने से आवेदन करने की अंतिम तिथि बढ़ सकती है।
– डा. पीएल गोयल, डीपीसी