नीमच. ब्लड प्रेशर, मधुमेह, पाईल्स, पथरी, अस्थमा, चर्म रोग सहित पुरानी चोटों के दर्द की समस्या होने पर शहरवासी इंदौर,
उदयपुर और अहमदाबाद जाकर उपचार में लाखों रुपए खर्च कर देते हैं। जिस उपचार के लिए बड़े शहरों में हजारों रुपए फीस के साथ ही समय भी खर्च होता है। वही उपचार जिला चिकित्सालय में स्थित पंचकर्म थेरेपी सेंटर पर नि:शुल्क होता है। लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इस उपचार का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
बतादें की जिला चिकित्सालय में वर्ष २००८ से आयुष विंग पंचकर्म थेरेपी सेंटर है। यहां पर विभिन्न मशीनों के माध्यम से उपचार कर लोगों का पुराने से पुराना दर्द दूर कर दिया जाता है। वहीं विभिन्न गंभीर बीमारियों का उपचार आयुर्वेदिक औषधियों से किया जाता है। लेकिन जानकारी के अभाव में जिलेवासी उपचार के लिए बड़े शहरों की ओर रूख करते हैं। ऐसे में उन्हें उपचार में मोटी रकम तो खर्च करनी ही पड़ती है। बल्कि समय भी खर्च होता है।
इस प्रकार होता है उपचार
पंचकर्म थेरेपी सेंटर में करीब तीन प्रकार की मशीनें है। जिसमें स्टीम केबिनेट विथ गैस एंड इलेक्ट्रानिक्स मशीन है। इस मशीन के अंदर व्यक्ति को बिठाकर वाष्प स्वेदन (भाप) प्रक्रिया की जाती है। जिससे व्यक्ति को हाथ पैरों में जकडऩ, जोड़ों के दर्द आदि में लाभ मिलता है। यही नहीं बल्कि व्यक्ति अगर पंचकर्म थेरेपी का नियमित लाभ ले तो निश्चित ही पुराने से पुराना दर्द भी जड़ से मिट जाता है। क्योंकि इस मशीन से पूरे शरीर की सिकाई होती है। इस प्रकार की दो मशीनें है। जिसमें दूसरी मशीन में व्यक्ति को लिटा कर सिकाई की जाती है।
शरीर के हर दर्द की होती अलग अगल सिकाई
यहां पर नाड़ी स्वेदन
यंत्र भी है। जिसके माध्यम से व्यक्ति के उस अंग की सिकाई होती है जो दर्द कर रहा है। चूकि व्यक्ति का अगर पूरा शरीर दर्द नहीं कर रहा है तो उसी अंग की सिकाई की जाती है। जिस अंग में दर्द हो रहा है। इस मशीन से व्यक्ति को घुटनों में दर्द, कमर दर्द, कंधों का दर्द आदि की सिकाई की जाती है वह भी नि:शुल्क। जबकि इसी प्रकार की सिकाई के लिए व्यक्ति को अन्य स्थानों पर हजारों रुपए फीस के रुप में चुकानें पड़ते हैं।
सर्द मौसम में लाभकारी है पंचकर्म थेरेपी
अन्य मौसम की अपेक्षा सर्द मौसम में पंचकर्म थेरेपी काफी लाभदायक है। क्योंकि इस मौसम में शरीर ठंडा रहता है। जिससे सिकाई आदि प्रक्रिया करने में व्यक्ति को किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है। बल्कि लाभ ही होता है। चूकि इस प्रकार के उपचार से किसी प्रकार का साईड इफेक्ट भी नहीं होता है। इसी के साथ आयुष विंग में मालिश के लिए भी अगल ही प्रकार की टेबल है जिस पर व्यक्ति की मालिश कर विभिन्न प्रकार के दर्द से मुक्ति दिलाई जाती है।
कुपोषित बच्चों का होता उपचार
आयुष विंग में कुपोषित बच्चों का उपचार आयुर्वेदिक तेल, चूर्ण व गोलियों के माध्यम से किया जाता है। जिससे थर्ड ग्रेड वाला कुपोषित बच्चा सेकेंड ग्रेड व सेकेंड वाला फस्ट ग्रेड में पहुंचता है। इस प्रकार नियमित उपचार से उसे पूर्णतय: लाभ हो जाता है। इस प्रकार की दवाईयां आंगनवाड़ी के माध्यम से भी पहुंचाई जाती है।
चंद मरीज ही ले पा रहे लाभ
जिला चिकित्सालय में होने वाली पंचकर्म थेरेपी के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण चंद मरीज ही थेरेपी का लाभ ले पा रहे हैं। इस कारण जहां एलोपैथिक उपचार के लिए प्रतिदिन ४०० से ५०० मरीज पहुंचते हैं। वहीं पंचकर्म थेरेपी व आयुर्वेदिक चिकित्सा की ओपीडी एक माह में मात्र ४०० से ६०० तक ही पहुंच पा रही है।
माह वर्ष २०१७ ओपीडी /पंचकर्म थैरेपी
अप्रैल ३४२
मई ४१६
जून ३९०
जुलाई ६०२
अगस्त ६३५
सितंबर ४६१
अक्टूबर ४४१
नवंबर ८२०
इस प्रकार पंचकर्म थैरेपी का लाभ अधिकतर लोग सर्द मौसम में ही लेते हैं। इस कारण अन्य माह की अपेक्षा नवंबर माह में मरीजों की संख्या अधिक है। वहीं सितंबर माह में आयुष विंग द्वारा ३५८ मरीजों को चिकनगुनिया, डेगूं, स्वाईन फ्लू आदि की दवाईयां दी गई थी।
वर्जन.
सर्द मौसम में जोड़ों के दर्द व पुराने दर्द की समस्या अधिक रहती है। इस कारण व्यक्ति पंचकर्म थेरेपी का लाभ लें। पंचकर्म थेरेपी व आयुर्वेदिक उपचार से कई पुरानी बीमारियां जड़ से समाप्त हो जाती है।
-डॉ आशीष बोराना, आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी
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