यहां एक दिन में ही ऐसा क्या हुआ कि 50 करोड़ का कारोबार हो गया प्रभावित
मांगों के समर्थन में 125 से अधिक कर्मचारी अधिकार रहे हड़ताल पर
पंजाब नेशनल बैंक के सामने हड़ताल के दौरान नारेबाजी करते हुए बैंक कर्मचारी।
नीमच. विभिन्न मांगों को लेकर सरकारी बैंकों ने मंगलवार को एक दिवसीय हड़ताल रखी। हड़ताल की वजह से जिले के 24 सरकारी बैंकों में कामकाज नहीं हुआ। बैंकों में कामकाज नहीं होने से करीब 50 करोड़ रुपए का लेनदेन प्रभावित हुआ।
त्योहार के बची हुई लोगों को परेशानी
सरकारी बैंकों के विनीलीकरण के विरोध में मध्यप्रदेश बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन के बैनर तले मंगलवार को जिले की करीब 24 सरकारी बैंकों में एक दिवसीय हड़ताल रखी गई। हड़ताल के चलते मंगलवार सुबह 10.30 से 11.30 बजे के मध्य एसोसिएशन के पदाधिकारी व सदस्य पंजाब नेशनल बैंक के सामने एकत्रित हुए। बैंकों की हड़ताल की यूं तो एक दिन पहले की सूचना दे दी गई थी, लेकिन जिन लोगों को इस संबंध में जानकारी नहीं थी वे बैंकों के चक्कर लगाते दिखे। हड़ताल के चलते बैंकों के ताले तक नहीं खुले। इससे ग्राहकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों की बैंकों में हड़ताल का अधिक असर दिखा। निजी और भारतीय स्टेट बैंकों में हड़ताल का कोई असर नहीं हुआ। सामान्य दिनों की तरह की कामकाम हुआ।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बदनाम कर रही सरकार
यहां एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष किशोर जेवरिया ने कहा कि केंद्र सरकार बैंकिंग सुधारों के नाम पर लगातार जनविरोधी नीतियां लागू करती जा रही हैं। दंडात्मक शुुल्क लगाकर ग्राहकों से मनमाने चार्जेस वसूले जा रहे हैं। जमा राशियों पर लगातार ब्याज दर में कमी की जा रही है। इससे बैंकों में अपनी खून पसीने की कमाई जमा करने वाला मध्यम वर्ग और पेंशनर प्रभावित हो रहे हैं। बैंकों में कर्मचारियों की भर्ती में लगातार कटौती की जा रही है। इस कारण ग्राहक सेवा प्रभावित हो रही है। इसका सीधा असर ग्राहकों व काउंटर पर बैठे कर्मचारी पर हो रहा है। राष्ट्रीयकरण के समय बैंकों की मात्र आठ हजार शाखाएं थीं। आज 90 हजार शाखाएं काम कर रही हैं। उस समय मात्र 5000 करोड़ की जमा राशि आज बढ़कर 85 लाख करोड़ तक पहुंच गई है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 60 लाख करोड़ तक के ऋण वितरित किए हैं। यह सब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विस्तार व जनता का इन बैंकों के प्रति विश्वास के कारण हुआ है। आज सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बदनाम करने का योजनाबद्ध कार्य कर रही है। बैंक कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए यूनाईटेड फोरम के सचिव सतीश भटनागर ने कहा कि कॉर्पोरेटिव व निजी क्षेत्र के बैंक नेताओं और उनके कृपापात्रों को बड़े बड़े लोन देकर बंद किए जा रहे हैं। इसमें आम जनता का पैसा डूब रहा है, जबकि राष्ट्रीयकृत बैंकों में जनता का पैसा ज्यादा सुरक्षित है, लेकिन इसका प्रचार उल्टा किया जा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र की पहुंच गांव गांव तक है, जबकि निजी क्षेत्र के बैंक सीमित दायरे में ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस अवसर पर प्रकाश भट्ट ने भी अपने विचार व्यक्त किए। हड़ताल के बीच किए प्रदर्शन में योगेन्द्रसिंह, मनीष नागदा, महेश जोशी, दीपक पाराशर, गोविंद गेहलोत, भानुमती यादव, मनोज बंकोलिया, संदीप चारण, मिशेल संघवी सहित बड़ी संख्या में बैंक कर्मचारी-अधिकारी उपस्थित थे। केंद्र सरकार की नीति के विरोध में कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की।
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