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नीमच

बाढ़ के बाद गेहूं बनेगा किसानों के लिए संकट मोचन

जिले में कुल बोवनी का 79 फीसदी निर्धारित किया गेहूं का लक्ष्य

नीमचOct 17, 2019 / 12:32 pm

Mukesh Sharaiya

Wheat will be a crisis for farmers after flood

रबी की बोवनी करते हुए मजदूर।

मंदसौर. खरीफ फसल जहां बाढ़ और अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गई वहीं रबी सीजन में गेहूं अन्नदाता के लिए संकटमोचन का काम करेगा। अतिवृष्टि से जिले के सभी जलस्त्रोतों में भरपूर पानी है। इस लाभ गेहूं फसल को होगा। कृषि विभाग ने भी इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस साल गेहूं पर दांव खेलने का मानस बनाया है। रबी फसल का अेकेल 79 फीसदी लक्ष्य की गेहूं का तय किया गया है। लक्ष्य बढऩे से गेहूं का बम्पर उत्पादन भी होगा।
पिछले साल के मुकाबले बढ़ा 57 फीसदी लक्ष्य
मंदसौर जिला एक महीने से अधिक समय तक बाढ़ की चपेट में रहा। चहुंओर हाहाकार मचा रहा। खरीफ फसल पूरी तरह चौपट हो गई। अन्नदाता के लिए बोवनी का खर्चा निकालना तक मुश्किल हो गया। अब रबी सीजन से अन्नदाता की उम्मीद जगी है। अतिवृष्टि से जलस्त्रोत लबालब हैं। इसका अधिक से अधिक लाभ किसानों को मिले इसके लिए कृषि विभाग ने भी गेहूं का रकबा सर्वाधिक रखा है। वर्ष 2017-18 में जिले में गेहूं की बोवनी 86 हजार 700 हेक्टेयर में हुई थी। इसकी तुलना में इस साल गेहूं का रकबा एक लाख ३ हजार हेक्टयर बढ़ाया गया है। पिछले साल की तुलना में गेहूं के लक्ष्य में करीब 57 फीसदी वृद्धि की गई है। पिछले साल जिले में एक लाख 20 हजार 750 हेक्टेयर में गेहूं की बोवनी हुई थी। मंदसौर जिले की मुख्य फसल होने की वजह से भी कृषि विभाग गेहूं पर दांव खेलने के मूड में है। इस साल सिंचाई को लेकर कोई समस्या नहीं होने से गेहूं का उत्पादन भी बंपर होने की पूरी संभावना बनी हुई है।
भरपूर पानी ने दलहन-तिलहन से किया दूर
कृषि विभाग ने इस साल गेहूं के मुकाबले दूसरी फसल को अधिक महत्व देना मुनासिब नहीं समझा। इसकी मुख्य वजह सिंचाई के लिए भूरपर पानी की उपलब्धता है। कृषि विभाग ने इस बात को दृष्टिगत रखते हुए ही दलहन और तिलहन पर दांव खेलने का तनिक भी मानस नहीं बनाया। दलहन में चना और मसूर सर्वाधित होता है। इस साल चना व मसूर का रकबा क्रमश: 46.12 और 16.32 प्रतिशत घटा दिया गया है। पिछले साल जिले में जहां दलहन 49 हजार 70 हेक्टेयर में बोया गया था वहीं इस बार दलहन का लक्ष्य 38.86 फीसदी घटाकर 30 हजार हेक्टेयर कर दिया गया है। तिलहन को लेकर भी कुछ ऐसी स्थिति है। सरसों का रकबा पिछले साल की तुलना में 74.94 प्रतिशत कम किया गया है। अलसी का अवश्य 143.90 प्रतिशत बढ़ाकर 4 हजार 100 हेक्टेयर से 10 हजार हेक्टेयर किया गया है। तिलहन का रबका पिछले साल के मुकाबले 54.55 प्रतिशत घटाया गया है। पिछले साल जिले में तिलहन की 44 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी हुई थी। इस साल यह सिमटकर 20 हजार हेक्टेयर रह गया।
12.24 फीसदी बढ़ाया रबी का लक्ष्य
कृषि विभाग ने इस बार रबी फसल का लक्ष्य में वृद्धि की है। इस साल २ लाख 40 हजार हेक्टेयर बोवनी का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2017-18 में जिले में 2 लाख 7 हजार 550 हेक्टेयर में बोवनी हुई थी। पिछले साल 2 लाख 13 हजार 820 हेक्टेयर में बोवनी हुई थी। देखा जाए तो पिछले दो सालों में रबी बोवनी में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। इस साल भी रबी बोवनी के लक्ष्य में 12.24 फीसदी की वृद्धि की गई है।
जिले में सर्वाधिक रकबा गेहंू का
इस साल बारिश अच्छी हुई है। इस लिहाज से फसलों का रकबा तय किया गया है। गेहूं का सर्वाधिक रकबा है। सरसों बोवनी का समय निकल गया है इसलिए उसका रकबा कम किया है। अतिवृष्टि के चलते रबी फसल का रकबा तय किया गया है।
-डा. एएस राठौड़, उपसंचालक कृषि

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