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विश्व एड्स दिवस : थर्ड स्टेज से भी शुरू किया उपचार तो इतने वर्ष तक जीवित रह सकता है मरीज

एचआइवी पीडि़त व्यक्ति नियमित उपचार लेकर वर्षों तक बेहतर जीवन जी सकता है, लेकिन एचआइवी होने के बाद भी उपचार नहीं लेने से यह बीमारी धीरे-धीरे एड्स में तब्दील हो जाती है। जिले में साल-दर-साल एचआइवी के मरीजों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों की मानें तो 17 वर्षों में 1500 से अधिक मरीज एचआइवी की गिरफ्त में आ चुके हैं। इसमें से 1000 नियमित दवाइयां ले रहे हैं तो 284 ने दम तोड़ दिया है।

नीमचNov 30, 2021 / 11:06 pm

sachin trivedi

विश्व एड्स दिवस : थर्ड स्टेज से भी शुरू किया उपचार तो इतने वर्ष तक जीवित रह सकता है मरीज

एचआइवी पीडि़त व्यक्ति नियमित उपचार लेकर वर्षों तक बेहतर जीवन जी सकता है, लेकिन एचआइवी होने के बाद भी उपचार नहीं लेने से यह बीमारी धीरे-धीरे एड्स में तब्दील हो जाती है। जिले में साल-दर-साल एचआइवी के मरीजों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों की मानें तो 17 वर्षों में 1500 से अधिक मरीज एचआइवी की गिरफ्त में आ चुके हैं। इसमें से 1000 नियमित दवाइयां ले रहे हैं तो 284 ने दम तोड़ दिया है।

वीरेंद्रसिंह राठौड़. नीमच. एचआइवी पीडि़त व्यक्ति नियमित उपचार लेकर वर्षों तक बेहतर जीवन जी सकता है, लेकिन एचआइवी होने के बाद भी उपचार नहीं लेने से यह बीमारी धीरे-धीरे एड्स में तब्दील हो जाती है। जिले में साल-दर-साल एचआइवी के मरीजों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों की मानें तो 17 वर्षों में 1500 से अधिक मरीज एचआइवी की गिरफ्त में आ चुके हैं। इसमें से 1000 नियमित दवाइयां ले रहे हैं तो 284 ने दम तोड़ दिया है।

 

यह हैं एचआइवी और एड्स के कारण
असुरक्षित यौन संबंध, एचआइवी संक्रमिक सूई से इंजेक्शन व पॉजीटिव व्यक्ति का ब्लड दूसरे व्यक्ति को चढ़ाने, गर्भवती माता से होने वाले बच्चे को, ड्रग लेने वाले लोग एक ही सूई से कई लोगों द्वारा नशा करना से यह हो होता है। जिले में अक्टूबर 2021 तक 1550 मरीज एचआइवी प्रभावित पाए गए हैं। 1000 दवाइयां ले रहे हैं। 284 की मौत हो चुकी है। जिले में 1 अप्रैल 2013 से एआरटी सेंटर होने के कारण मल्हारगढ़, प्रतापगढ़, चित्तौड़ आदि के एचआइवी और एड्स पीडि़त भी नीमच में उपचार लेने आते हैं। यहां आना मंदसौर या अन्य जिले से करीब पड़ता है।

एआरटी सेंटर में शुरू हुआ टेस्ट, मुंबई जाते हैं सेंपल
जिला चिकित्सालय में अब तक सीडीफोर जांच तो होती ही है, लेकिन अब वायरल लोड टेस्ट भी होने लगा है। इस जांच से पता चल जाता है कि मरीज को दवा लेने के बाद क्या सुधार आ रहा है। दवा काम कर रही है या नहीं, बीमारी घट रही है या बढ़ रही है। यह जांच अब तक केवल दिल्ली, अहमदाबाद, पूना आदि बड़े शहरों में होती थी। इसके सैंपल अब जिला चिकित्सालय के एआरटी सेंटर के माध्यम से मुंबई भेजे जाते हैं। यह सैंपल हर 15 दिन में भेजे जाते हैं।

यह नजर आएं लक्षण तो करवाएं जांच
वैसे तो एड्स की जानकारी और बचाव ही एड्स नियंत्रण के लिए कारगार उपाय है, लेकिन कई बार एचआईवी इंफेक्टेड होने के बाद भी व्यक्ति को वर्षों तक पता नहीं चलता है कि उसे यह बीमारी लग चुकी है। एचआईवी से पीडि़त होने के बाद भी 4 से 5 साल स्वस्थ्य दिखता है, लेकिन इसके बाद वह धीरे-धीरे असर होने लगता है। व्यक्ति का वजन अचानक कम होना, नियमित दस्त लगना, त्वचा रोग ग्रस्त नजर आना, सर्दी, खांसी, बुखार आने पर जब तक दवाइयां ले तब तक ठीक व बाद में फिर वही समस्या होना एड्स के लक्षण हैं। इसलिए अगर ऐसे लक्षण नजर आएं तो शीघ्र उपचार लेना शुरू कर दें, ताकि समय से नियमित उपचार लेने से निश्चित ही व्यक्ति लंबा जीवन जी सकता है।

 

17 वर्षों में एचआइवी प्रभावित आए मरीजों पर एक नजर
वर्ष कुल जांच पुरुष महिला गर्भवती कुल
2004 111 21 08 00 29
2005 117 21 11 00 32
2006 219 27 21 00 48
2007 2323 59 36 00 95
2008 1488 50 25 00 75
2009 4306 51 38 05 94
2010 6386 47 35 07 89
2011 7798 50 33 06 89
2012 15305 63 59 09 131
2013 17410 47 35 10 92
2014 21827 41 36 09 86
2015 24198 55 37 09 101
2016 24696 51 42 01 94
2017 19865 51 36 13 100
2018 16427 47 34 08 86
2019 18939 34 30 05 69
2020 19050 20 16 04 40
(वर्ष 2020 में आंकड़ें अक्टूबर तक, 17 साल में कुल पुरुष 735, महिला 532 और गर्भवती 86 एचआइवी पॉजीटिव पाए गए हैं।)

नियमित उपचार लेने से व्यक्ति लंबा जीवन जी सकता है, हमारे सामने कई ऐसे केस आए हैं। इसमें व्यक्ति उठ भी नहीं सकता था, उसके 10-15 दिन भी जिंदा रहने की कोई गांरटी नहीं थी। एक मरीज को तो इंदौर, उदयपुर से भी जवाब दे दिया था, लेकिन एआरटी सेंटर से नियमित उपचार लेने से वजन बढ़ा, इसलिए अगर एचआइवी या एड्स है तो उपचार कराएं। गर्भवती समय-समय पर टेस्ट करवाएं। लाइसेंसी ब्लड बैंक से ही ब्लड लें ताकि भविष्य में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आए। अब आईपीटीसी केंद्र रामपुरा, मनासा, जावद, सिंगोली और नीमच में स्थापित किए गए हैं।
नितिन भावसार, परामर्शदाता, एआरटी सेंटर

एड्स एक ज्वलंत समस्या बनकर सामने आ रहा है। इसलिए सबसे अधिक जागरुकता की जरूरत है। एड्स से बचाव के लिए जानकारी और बचाव ही उपचार है। चूंकि एक बार हो जाता है तो यह जड़ से खत्म नहीं होता है, लेकिन नियमित उपचार लेकर व्यक्ति काफी समय जी सकता है।
-डॉ. दिनेश प्रसाद, नोडल अधिकारी एआरटी सेंटर

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