आजादी के 70 साल बाद भी देश भ्रष्टाचार की जंजीरों में जकड़ा हुआ है। भ्रष्टाचार की मार झेल रहे DBRAU के हालातों को जान कर आप हैरान रह जाएंगे।
Students demanded azadi
आगरा। देश आजादी के 70 वर्ष पूरे कर चुका है, लेकिन सवाल यह उठता है, कि क्या हम पूर्ण रूप से आजाद हैं। शायद नहीं। अभी भी हम भ्रष्टाचार की जंजीरों में जकड़े हुए हैं। देश का भविष्य कहा जाने वाला छात्र वर्ग शिक्षा माफियाओं द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार से आजादी चाहता है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी (आगरा विश्वविद्यालय) की बात करें, तो यहां भ्रष्टाचार चरम पर है।
हर विंडो पर भ्रष्टाचार डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी आगरा की बात करें, तो यहां हर विंडो पर भ्रष्टाचार होता है। कभी मार्कशीट बनाने के नाम पर, तो कभी डिग्री निकलवाने के नाम पर। आलम यह है कि बिना धन के कोई काम कराया नहीं जा सकता है। यदि धन नहीं दिया, तो फिर आपको चक्कर ही लगाने होंगे।
आगरा यूनिवर्सिटी में कराए जाने वाले काम, रेट और दिया जाने वाला समय
काम
रुपए
समय
ओरिजनल डिग्री
3 हजार
2 माह
वैरीफिकेशन
4 हजार
7 दिन
मार्कशीट चाहिए
500 रुपए
15 दिन
मार्कशीट नेट पर सही
एक हजार
15 दिन
चार्ट पर सही कराने
500 रुपए
एक माह
नंबर बढ़वाने के एक वर्ष के
15-18 हजार
15 दिन
केस स्टडी पीसी बागला कॉलेज, हाथरस से आए छात्र हितेन्द्र प्रताप गौतम ने बताया कि वह पिछले एक वर्ष से यूनिवर्सिटी के चक्कर लगा रहा है। सोशियोलॉजी विषय में उसकी अबसेंट लगी है। इसे सही कराने के लिए वह यूनिवर्सिटी आया, तो पहले उसे बीए सेक्शन में जाना पड़ा। वहां उसने अपना प्रवेश पत्र और कॉलेज से लाया गई अटेंडेंस शीट जमा करा दी। कर्मचारी ने 500 रुपये मांगे, उसने नहीं दिए। उसका काम तो हो गया, लेकिन जो दूसरी मार्कशीट आई, वो भी गलत थी। उसमें अबसेंट हटाकर अंक डबल जीरो दर्शाए गए हैं। उसके बाद वह फिर यूनिवर्सिटी पहुंचा, अब उसे अपनी कॉपी चेक करानी है कि उसको सोशियोलॉजी में जीरो कैसे मिला, लेकिन बिना रिश्वत के वह सिर्फ चक्कर काट रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि पुरानी कॉपी मिलना बहुत मुश्किल है। सभी कॉपियां एसआईटी के पास हैं।
भ्रष्टाचार की आग में झुलसे लाखों छात्र आगरा यूनिवर्सिटी के भ्रष्टाचार की इस आग में सत्र 2005 के नहीं, बल्कि कई सत्रों के विद्यार्थी झुलस गए। सबसे बडी बात है, यह है कि भ्रष्टाचार की इस आग ने उन विद्यार्थियों को भी नहीं बख्शा जिन विद्यार्थियों ने बिलकुल सीधे-साधे तरीके से परीक्षाएं देने के बाद रिजल्ट प्राप्त किया और नौकरी पा ली। भ्रष्टाचार की यह आग उनकी नौकरी तक पर पहुंच गई है। आगरा यूनिवर्सिटी से बीएड कर शिक्षा विभाग में नौकरी प्राप्त कर चुके हजारों छात्रों की फिलहाल में एसआईटी द्वारा जांच की जा रही है।
यह कहना है अधिकारियों का पत्रिका टीम ने जब इस मामले में आगरा यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार केएन सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि कौन सा भ्रष्टाचार अब हो रहा है। पुराने मामले रहे, उनकी वजह से अब परेशानी आ रही है, लेकिन व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। जो भ्रष्टाचार के मामले सामने आए, उसमें जांच भी चल रही है। दोषियों पर कार्रवाई भी हो रही है।
आगरा यूनिवर्सिटी में ये हुए अब तक के बड़े घोटाले-
केस-1 सत्र 2005 का बीएड घोटाला, जिसने लाखों छात्रों के जीवन को बर्बाद कर दिया। इस सत्र में बिना प्रवेश, परीक्षा और परिणाम के डिग्री थमा दी गई, इतना ही नहीं, इन डिग्रियों से हजारों लोगों ने शिक्षा विभाग में नौकरी भी प्राप्त कर ली। इस मामले में हाईकोर्ट के निर्देश पर विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच की जा रही है। एसआईटी की जांच शुरू हुई तो इस भ्रष्टाचार की एक एक कर परतें खुलती गईं। पूर्व कुलसचिव शिवपूजन, सहायक कुलसचिव रातव्रत राम, सेवानिवृत्त ओएस शिवदत्त शर्मा, पूर्व चार्ट रूम प्रभारी महीपाल सिंह व कर्मचारी संघ के नेता हरीश कसाना इस मामले में फंसे। एसआईटी ने अक्टूबर 2015 में लखनऊ में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।
केस-2 आगरा विवि के परीक्षा विभाग में तैनात सतेन्द्र सिंह को 12 फरवरी, 2016 की रात गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस मामले में मैनपुरी के एक कॉलेज संचालक का नाम सामने आया। सतेन्द्र सिंह की हत्या निजी कॉलेज संचालक द्वारा कराए जाने वाले भ्रष्टाचार में साथ न देने पर की गई। इस घटना ने आगरा यूनिवर्सिटी के हर कर्मचारी को हिला कर रख दिया। करीब सात दिन तक आगरा यूनिवर्सिटी में ताला डाल दिया गया, कर्मचारी हड़ताल पर बैठ गए। इस घटना के कुछ दिन बाद तक हालात बेहद सही दिखाई दिए, लेकिन अब पुराना रवैया फिर आगरा विवि पर हावी हो गया है।