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दिल्‍ली : मुस्लिम से शादी करने पर हिंदू महिला का श्राद्ध करने की मंदिर सोसायटी ने नहीं दी इजाजत

एक मुस्लिम पति अपनी हिन्दू पत्नी का श्राद्ध कराना चाहता था, पर देश की राजधानी के एक इलाके की मंदिर सोसायटी ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी।

नई दिल्लीAug 10, 2018 / 06:55 pm

Mazkoor

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दिल्‍ली : मुस्लिम से शादी करने पर हिंदू महिला का श्राद्ध करने की मंदिर सोसायटी ने नहीं दी इजाजत

नई दिल्‍ली : एक मुस्लिम पति अपनी हिन्दू पत्नी का श्राद्ध कराना चाहता था, पर देश की राजधानी के एक इलाके की मंदिर सोसायटी ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी। इसका कारण उस व्‍यक्ति को यह बताया कि चूंकि उक्‍त महिला ने मुस्लिम व्यक्ति से शादी की थी। इसलिए वह हिन्दू नहीं रही। चाहे उन्‍होंने अपना मजहब न बदला हो।

स्‍पेशल मैरेज एक्‍ट के तहत किया था विवाह
उन दोनों ने भारतीय कानून में प्रदत्‍त अधिकार स्पेशल मैरेजेज एक्‍ट के तहत 20 साल पहले बिना अपना-अपना धर्म बदले शादी की थी। कोलकाता में बसे इम्तियाजुर रहमान ने हिंदू महिला निवेदिता घटक से शादी की थी। पिछले हफ्ते दिल्ली में उनकी पत्‍नी के कई अंग फेल हो जाने से मौत हो गई। इसके बाद हिंदू रीति से उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के निगम बोध घाट पर किया गया। इसके बाद वह चितरंजन पार्क इलाके की मंदिर सोसायटी में अपनी पत्‍नी के श्राद्ध के लिए गए, लेकिन उन्‍हें अनुमति नहीं दी गई।

सोसायटी ने रद्द की बुकिंग
इम्तियाज़ुर रहमान पश्चिम बंगाल सरकार में वाणिज्यिक कर विभाग में सहायक आयुक्त पद पर कार्यरत हैं। उन्‍होंने बताया कि अपनी पत्‍नी का श्राद्ध कराने के लिए 6 अगस्त को उन्‍होंने काली मंदिर सोसायटी में 12 अगस्त की बुकिंग कराई थी। इसके लिए उन्‍होंने सोसायटी को 1,300 रुपए का राशि भी चुका दी थी। इसके बाद अचानक मंदिर सोसायटी ने ऊनकी बुकिंग रद्द कर दी गई। उन्हें बताया कि उनकी पत्‍नी ने चूंकि एक मुस्लिम व्‍यक्ति से शादी की थी, इसलिए वह हिंदू नहीं रही। अतएंव उनका श्राद्ध नहीं कराया जा सकता है।

सोसायटी ने भी इस घटना की पुष्टि की
इस बारे में मंदिर सोसायटी के प्रमुख अशिताव भौमिक ने जानकारी दी कि इम्तियाज़ुर रहमान ने अपनी पहचान छिपाई थी। बुकिंग अपनी बेटी इहिनी अम्बरीन के नाम से करवाई थी, जो सुनने में अरबी या मुस्लिम नाम जैसा नहीं लगता। हमें उनकी धार्मिक वास्तविकता का पता तब चला, जब एक पुजारी को संदेह हुआ और उन्होंने उनसे उनके गोत्र के बारे में पूछा। वह कोई जवाब नहीं दे सके, क्‍योंकि मुस्लिम गोत्र व्यवस्था का पालन नहीं करते और उनकी पत्नी को मुस्लिम से शादी करने के कारण हिन्दू नहीं माना जा सकता, क्योंकि विवाह के उपरान्त महिला अपने ससुराल का उपनाम तथा मान्यताओं को अंगीकार कर लेती है, और उसी समाज का हिस्सा बन जाती है। काली मंदिर सोसायटी के प्रमुख ने कहा कि हमने ऐसा हिन्दू परम्पराओं तथा रीति-रिवाजों के सम्मान के लिए किया।

अगर इतना ही जरूरी था तो कोलकाता में करता
यह पूछे जाने पर कि ऐसा किया जाना उस दिवंगत महिला की अंतिम इच्छा थी, जो हिन्दू मान्यताओं का पालन करती थी। इस पर अशिताव भौमिक ने कहा कि क्या पता, उस व्यक्ति के इरादे नेक न हो। वह अपने 50-100 रिश्तेदारों को लेकर मंदिर में घुस जाता, और वहीं नमाज पढ़ने लगता, तब हम क्‍या करते। अगर उस व्‍यक्ति के लिए अपनी पत्नी के लिए यह संस्कार करना इतना ही जरूरी था तो उसे कोलकाता में करना चाहिए था। वह दिल्ली में ऐसा क्यों करना चाहता था- वह यह काम अपने घर कोलकाता में क्यों नहीं करता?

इम्तियाज ने कहा, धर्म निजी मामला है
इम्तियाज़ुर रहमान ने कहा कि धर्म उनके लिए निजी मामला है। इससे हिन्दू धर्म का पालन करने वाली उनकी पत्नी के साथ इस बात के कारण उनके रिश्ते में कभी कोई फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि वह किसी भी रीति-रिवाज का पालन अपने तरीके से करती थीं, और वह अपन तरीके से। यह रीति वह अपनी के तरीके से करना चाहते थे, क्योंकि वह होतीं, तो मुझसे यही चाहतीं। लेकिन मुझे अब इसकी अनुमति नहीं दी जा रही।

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