नई दिल्ली

बिहार में धर्मांतरण कानून की नहीं जरूरत: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

सीएम नीतीश कुमार ने धर्मांतरण विरोधी कानून लाने की कोई आवश्यकता नहीं है। उनके अनुसार बिहार में जो स्थिति है उसको देखते हुए ऐसे किसी कानून की जरूरत ही नहीं है।

नई दिल्लीJun 08, 2022 / 05:43 pm

Archana Keshri

बिहार में धर्मांतरण कानून की नहीं जरूरत: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि जिस राज्य में सरकार सतर्क है और विभिन्न धार्मिक समुदायों के सदस्य शांति से रहते हैं वहां धर्मांतरण विरोधी कानून की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा बिहार में जो स्थिति है उसको देखते हुए ऐसे किसी कानून की जरूरत ही नहीं है। बिहार में सभी धर्मों के लोग आपसी सद्भाव से रहते हैं। और इस मुद्दे को लेकर कोई खास मामले बिहार में सामने नहीं आए हैं, जो इसके लिए कानून बनाया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा, “सरकार यहां हमेशा सतर्क रही है। और सभी लोग, चाहे वे किसी भी धार्मिक समूह के हों, शांति से रहते हैं। इसलिए यहां इस तरह के कदम की आवश्यकता नहीं है।”
बता दें, बिहार सीएम नीतीश कुमार ने बिहार राज्य के सभी राजनीतिक दलों की बैठक में आम सहमति से जातिगत जनगणना करानेका निर्णय ले लियाल है। तो वहीं जातिगत जनगणना का विरोध कर रही राज्य भाजपा ने रोहिंग्य और बांग्लादेशी घुसपैठियों की गिनती न कराने की सलाह देकर बेमन से सहमति जता दी है। इस मामले पर नीतीश कुमार ने बीजेपी द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं के बारे में एक प्रश्न को दरकिनार कर दिया।

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दरअसल, जातिगत जनगणना की घोषणा के बाद राज्य बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने मांग की थी कि सरकार जनगणनना के दौरान सावधानी बरते ताकि ‘रोहिंग्या’ सर्वेक्षण के दायरे से बाहर रहे। उन्होंने कहा था कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सर्वेक्षण से बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं (म्यांमार से) जैसे विदेशी घुसपैठियों को जनगणना से बाहर रखा जाए, ताकि उन्हें वैधता नहीं मिल सके।
आपको बता दें, सिर्फ धर्मांतरण विरोधी कानून हीं नहीं बल्कि 1990 के दशक से ही नीतीश कुमार भाजपा के द्वारा बनाए जा रहे किसी भी कानून के समर्थन में नहीं रहे हैं, जिनमें अनुच्छेद 370, समान नागरिक संहिता, ट्रिपल तालक, एनआरसी और जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दे शामिल हैं।

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