नई दिल्ली

मोदी-बाइडेन टोक्यो में ही थे मौजूद, टोक्यो में क्वाड की बैठक के बीच जापानी एयरस्पेस के नजदीक मंडराते दिखे चीन और रूस के लड़ाकू विमान

जापान के रक्षा मंत्री ने दावा किया कि चीनी और रूसी लड़ाकू विमानों ने मंगलवार को जापान के पास उस समय संयुक्त उड़ानें भरीं जब क्वाड ब्लॉक के नेता टोक्यो में मिले। जापान में क्वाड सम्मेलन के दौरान चीन व रूस ने मिलकर टोक्यो के पास फाइटर जेट्स उड़ाकर आंख दिखाने की कोशिश की है।

नई दिल्लीMay 24, 2022 / 10:23 pm

Archana Keshri

मोदी-बाइडेन टोक्यो में ही थे मौजूद, टोक्यो में क्वाड की बैठक के बीच जापानी एयरस्पेस के नजदीक मंडराते दिखे चीन और रूस के लड़ाकू विमान

जापान की राजधानी टोक्यो में क्वॉड देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मीटिंग चल रही थी जिस दौरान चीन और रूस ने एक बेहद गंभीर हरकत की है। टोक्यो में मंगलवार को क्वाड समूह देशों के नेताओं ने क्वॉड समिट में हिस्सा लिया। क्वॉड समिट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानीज, जापानी पीएम फुमियो किशिदा बैठक कर रहे थे उसी वक्त रूस और चीन के फाइटर जेट्स जापानी सीमा के करीब उड़ान भर रहे थे। इस बात की पुष्टि खुद जापान सरकार ने की है। जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने कहा कि सरकार ने उड़ानों को लेकर रूस और चीन के सामने गंभीर चिंता व्यक्त की है।
नोबुओ किशी ने कहा,”जब हम इंडो-पैसिफिक रीजन की सिक्योरिटी को लेकर ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक कर रहे थे उस वक्त हमारी सीमा के करीब ऐसी हरकत चिंताजनक है।” उन्होंने कहा कि लड़ाकू विमानों ने हमारी सीमा क्षेत्र का उल्लंघन नहीं किया लेकिन नवंबर के बाद यह चौथी घटना है। ऐसा आज चौथी बार हुआ जब रूस और चीन के लड़ाकू विमानों ने हमारी सीमा के करीब उड़ान भरी।
जापानी रक्षा मंत्री ने बताया कि कुल चार विमानों, दो चीनी बॉम्बर्स और दो रूसी बॉम्बर्स, ने पूर्वी चीन सागर से प्रशांत महासागर की ओर संयुक्त उड़ान भरी। उन्होंने कहा कि खुफिया जानकारी इकट्ठा करने वाले एक रूसी विमान ने भी मंगलवार को मध्य जापान में उड़ान भरी। तो वहीं टोक्यो में हो रहे सम्मेलन के मद्देनजर इस कदम को खास तौर से ‘उकसाने वाला’ बताया जा रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमने देश और क्षेत्र की सुरक्षा के नजरिए से अपनी ‘गंभीर चिंताओं’ को राजनयिक माध्यमों से जाहिर किया है। जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रमकता का जवाब देता है, यह तथ्य है कि चीन, रूस के साथ मिलकर ऐसी घटनाओं को अंजाम देता है जो कहीं से स्वीकार्य नहीं है। यह हमारे लिए चिंता का कारण है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
बता दें, क्वॉड लीडर्स ने मंगलवार को कहा कि वे जबरन किसी भी तरह के कार्रवाई का विरोध करते हैं। हालांकि, उन्होंने सीधे रूस या चीन का नाम नहीं लिया। क्वॉड देशों ने इस मीटिंग में बेहद अहम फैसला किया जो की चीन के लिए फिक्रमंद होने का सबब है। चारों देशों ने फैसला किया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर और इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए पांच साल में 50 अरब डॉलर खर्च किए जाएंगे। इस मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी शामिल हुए।
सरल भाषा में कहें तो इस बजट का मतलब यह है कि हिंद और प्रशांत क्षेत्र में चीन की दबदबे वाली हर चाल को चारों देश मिलकर खत्म करेंगे। चीन इस क्षेत्र के ज्यादातर हिस्सों को अपना क्षेत्र बताता है। चीन को दिक्कत यहां तक है कि वो हिंद-प्रशांत महासागर को इंडो-पैसिफिक की बजाए एशिया पैसिफिक कहना चाहता है। उसे इंडो-पैसिफिक शब्द पर ही ऐतराज है।

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बताते चलें, जापान का रूस, चीन और साउथ कोरिया के साथ सीमा विवाद लंबे समय से चल रहा है, जिस वजह से इनके बीच संबंध ठीक नहीं हैं। भारत के साथ भी चीन का सीमा विवाद चल रहा है। सिर्फ यही देश नहीं पूरी दुनिया के चीन के आक्रामक नीति से परेशान है। तो वहीं इस बैठक में पीएम मोदी ने चीन को सख्‍त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि क्‍वाड अच्‍छाई की ताकत के लिए बनाया गया संगठन है और यह हिंद प्रशांत क्षेत्र को बेहतर बना रहा है। उन्‍होंने कहा कि बहुत कम समय में क्‍वाड ने दुनिया में अपनी महत्‍वपूर्ण जगह बना ली है।
तो वहीं राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने क्‍वाड श‍िखर बैठक में पीएम मोदी के सामने रूस पर तीखा हमला किया और कहा कि पुतिन यूक्रेन की संस्‍कृति को ही तबाह करना चाहते हैं। बाइडन ने यूक्रेन पर रूसी हमले को ‘इतिहास का काला अध्‍याय’ करार दिया और इसकी जमकर निंदा की।

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