scriptGST: इतने खराब तरीके से लागू की जीएसटी, हर दूसरे दिन किया एक बदलाव-पी.चिदंबरम | GST implemented so poorly, one change every other day: P.Chidambaram | Patrika News

GST: इतने खराब तरीके से लागू की जीएसटी, हर दूसरे दिन किया एक बदलाव-पी.चिदंबरम

locationनई दिल्लीPublished: Jul 01, 2022 05:01:36 pm

Submitted by:

Shadab Ahmed

GST: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम (P.Chidambaram) ने कहा कि भाजपा सरकार ने जीएसटी (GST) को बेहद खराब तरीके से लागू किया। इसके चलते सरकार को पिछले पांच सालों में हर दूसरे दिन एक बदलाव करना पड़ा है। कांग्रेस (Congress) वर्तमान जीएसटी को खारिज करती है। उन्होंने बताया कि पिछले 5 साल में 869 अधिसूचनाएंए 143 परिपत्र और 38 आदेश जारी किए हैं।

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Congress पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी. चिदंबरम व कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता में वर्तमान में लागू जीएसटी त्रुटिपूर्ण और पूर्णतया अस्थाई है। चिदंबरम ने कहा कि आज जीएसटी अपना 5वां जन्मदिन मना रहा है। वास्तव में इसमें जश्न मनाने जैसा कुछ भी नहीं है। जीएसटी में कुछ जन्मजात त्रृटियां थी और पिछले पांच वर्षों में ये त्रृटियां बद से बदतर हो गई हैं। इसने सामानों और सेवाओं का उपयोग करने वाले आम लोग ज़्यादा टैक्स की मार झेल रहे हैं। कांग्रेस पार्टी स्पष्ट करना चाहती है कि आज जो तथाकथित जीएसटी लागू है, वह त्कालीन यूपीए सरकार द्वारा परिकल्पित जीएसटी नहीं है।
रिफंड का दावा करना बुरे सपने जैसा

इसमें कई दर, शर्ते, अपवाद और छूटों का एक जटिल मायाजाल है। जो एक जानकार करदाता को भी पूरी तरह से आश्चर्यचकित कर देता है। सभी पंजीकृत विक्रेता करदाताओं के पास पूरी जानकारी नहीं है जिसके कारण वे कर संग्राहक की दया पर पूरी तरह निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 0.25, 3, 5, 12,18 और 28 फीसदी की छह दरें है। इसके अतिरिक्त शून्य दर और छूट प्राप्त सामान हैं। कर दरों में कोई भी परिवर्तन छोटे व्यवसायों के गहरे घावों में चाकू से उसे और गहरा करने जैसा है। जीएसटी के 5 साल बाद भी दाखिल की जाने वाली रिटर्न की संख्या का कोई युक्तिसंगत आधार नहीं है। ई.वे बिल और ई.चालान का अनुपालन आसान नहीं है। रिफंड का दावा करना एक बुरे सपने की तरह है और इसके लिए अदालतों में हजारों मामले चल रहे हैं।
राज्यों के साथ विश्वासघात

चिदंबरम ने कहा कि 2017 में वादे के बावजूदए किसी भी राज्य ने 14 प्रतिशत की वार्षिक राजस्व वृद्धि दर हासिल नहीं की है। राज्यों ने मुआवजा उपकर के माध्यम से अंतर को पाट दिया है, लेकिन पिछले दो वर्षों में मुआवजा उपकर में कमी के कारण निरंतर कर्जा लेकर इस अंतर को भरा जा रहा है। राज्यों को उनकी इच्छा के विरुद्ध व्यवस्था को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया। इस कारण आपसी अविश्वास और गहरा हुआ और राज्यों के ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ता चला गया। कोविड .19 महामारी के दौरान जब राज्यों को राजस्व की सर्वाधिक आवश्यकता थी, उन परिस्थितियों में राजकोषीय हस्तांतरण में विलंब से राज्यों को एक गंभीर झटका लगा। कई राज्यों के वित्त मंत्रियों ने सार्वजनिक रूप से इस संबंध में केन्द्र पर विश्वासघात करने का आरोप तक लगाया है। उनमें से कुछ ने तो जीएसटी पर पुनर्विचार तक की मांग कर दी है।
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