दिल्ली: नौकरी दिलाने के बहाने दो लड़कियों को GB रोड पर देहव्यापार के लिए बेचा, मालकिन गिरफ्तार
कैसे बने आशु महाराज
आपको बता दें कि आशु महाराज का असली नाम आसिफ खान है। वे मामूली सी एक ड्राइक्लीन की दुकान चलाते थे। आसिफ खान के पिता का नाम इधा खान है। आसिफ बाबा बनने से पहले राजधानी दिल्ली में रोहिणी के पास एक छोटी से ड्राइक्लीन की दुकान चलाता था। इससे बमुश्किल ही उसके परिवार का खर्चा चल पाता था। एक दिन आसिफ की मुताकात एक बाबा से हुई, जो काला जादू और वशीकरण आदि तंत्र विद्या के जानकार थे। आसिफ इस बाबा से इतने प्रभावित हुए कि खुद बाबा बनने का फैसला कर लिया। आसिफ ने उसी बाबा को अपना गुरू बनाया और उनसे सारी तंत्र विद्या, वशीकरण आदि के टोटके सीखे। इसके बाद आसिफ ने अपना बदलकर आशु भाई रख लिया। ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रभावित करने के लिए फिर अपने नाम के पीछे महाराज शब्द लगाया। इस तरह से वह लोगों के बीच अब आसिफ खान नहीं बल्कि आशु महाराज के रुप में पहचाने जाने लगे। आशु महाराज ने लोगों को अपने टोटके के जाल में फंसाने के लिए तरह-तरह के उपाय करने लगे। शुरूआती दौर में आशु महाराज ने खुद ही अपने नाम की पर्ची गली-मोहल्लों में जा-जाकर बांटी। जैसे-जैसे लोग आसिफ के झांसे में फंसते गए वैसे-वैसे उनके पास पैसा बढ़ता गया और धीरे-धीरे अब आशु महाराज ने प्रचार के लिए पर्चियां बांटने के बजाए समाचार पत्र और टीवी में विज्ञापन देना शुरू कर दिया। जिसके बाद वे घर-घर में आम लोगों के बीच मशहूर हो गए। आशु महाराज ने फिर दिल्ली के रोहिणी में ही अपना एक आश्रम खोला और गोरखधंधा चलाने लगा। अब बाबा के पास करोड़ों की संपत्ति हो चुकी थी। वे वशीकरण और तंत्र-मंत्र का झांसा देकर बेबस लोगों को फंसाने के लिए काम करने लगे। इस तरह से वे महिलाओं और लड़कियों को अपने झांसे में लेकर उनसे बलात्कार करने का भी धंधा शुरू कर दिया। हालांकि अब आशु भाई के झूठ और फरेब का पर्दाफाश हो चुका है और गाजियाबाद की रहने वाली उन्ही की एक महिला भक्त ने बलात्कार का आरोप लगाया। जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।