ये सभी मास्क आरुषि द्वारा संचालित गैर सरकारी संगठन स्पर्श गंगा फाउंडेशन की ओर से दिए गए हैं जिन्हें इस संगठन में काम करने वाली विभिन्न टीमों ने घर पर ही बनाया है। स्पर्श गंगा फाउंडेशन देश और दुनिया में 2008 से काम कर रहा है और पूरी दुनिया में इस संस्था से लगभग 5.5 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हैं। सभी मास्क खादी के बने हुए हैं और इनको धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। चूंकि एक बार प्रयोग में लेकर फेंके जाने वाले मास्क से वायरस के संक्रमण का खतरा फैलने का डर रहता है जबकि खादी के बने मास्क से ऐसा खतरा नहीं होता है।
इस अवसर पर स्पर्श गंगा की संयोजिका आरुषि पोखरियाल ने कहा, ‘इस अभूतपूर्व स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान आम नागरिक तो घर पर रहकर लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं और इस महामारी के खिलाफ जंग में सहयोग दे रहे हैं लेकिन हजारों वीर सैनिक भाई इस संकटकाल में भी एक ओर जहां सीमाओं पर देश के दुश्मन से लड़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर देश के अंदर इस जानलेवा वायरस से।’ ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है कि सीमा पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें।
अपने सैनिक भाइयों की सुरक्षा को देखते हुए स्पर्श गंगा फाउंडेशन की देश व्यापी टीमों ने उन्हें रक्षा कवच (फेस मास्क) भेजने का निर्णय लिया। जिस प्रकार एक भाई रक्षाबंधन के मौके पर बहन द्वारा राखी बांधे जाने पर उसकी रक्षा का वचन देता है उसी प्रकार हम बहनों ने इस बार अपने भाइयों की सुरक्षा के लिए ये पहल की है। इससे पहले भी आरुषि पोखरियाल ने फेस मास्क, सैनेटाइजर वगैरह अपने स्टाफ कर्मियों को बांटे थे।