चुनिंदा विकसित देशों की जमात में हुआ शामिल
इसी के साथ भारत आस्ट्रेलिया, अमरीका और कनाडा जैसे उन चुनिंदा विकसित देशों की जमात में शामिल हो गया, जिन्होंने बायोफ्यूल से विमान उड़ाने में सफलता हासिल की है। बता दें कि इन देशों को भी इसी साल यह सफलता मिली है। ऐसा करने वाले आस्ट्रेलिया और अमरीका पहले देश बने थे। पहली फ्लाइट लॉस एंजेलिस से मेलबोर्न के लिए उड़ी थी।
रविवार को हुआ परीक्षण, सोमवार को पहुंची दिल्ली
बायोफ्यूल से उड़ने वाला स्पाइसजेट का यह विमान बॉम्बार्डियर क्यू400 सोमवार को देहरादून से उड़ान भर कर नई दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 पर पहुंचा। इस मौके पर नई दिल्ली हवाईअड्डे पर केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, नितिन गडकरी, धर्मेंद्र प्रधान और सुरेश प्रभु मौजूद थे। इस फ्लाइट में 75 फीसदी एविएशन टर्बाइन फ्यूल और 25 फीसदी बायोफ्यूल था। विमान में वेजिटेबल ऑयल्स, चीनी, एनिमल फैट, वेस्ट बायोमास से तैयार र्इंधन का इस्तेमाल किया गया था।
तेल के लिए अरब देश पर घटेगी निर्भरता
बता दें कि बायोफ्यूल का इस्तेमाल जीवाश्म ईंधन की जगह किया जा सकता है। यह सब्जी के तेलों, रिसाइकल ग्रीस, काई, जानवरों के फैट आदि से बनता है। इसकी वजह यह है कि अंतरराष्ट्रीय संस्था एयरलाइंस इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने 2050 तक एविएशन इंडस्ट्री से पैदा होने वाले कॉर्बन को 50 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा है। अनुमान है कि अगर पूरी दुनिया एविएशन के क्षेत्र में बायोफ्यूल का इस्तेमाल करने लगे तो इस क्षेत्र में करीब 80 प्रतिशत तक कार्बन उत्सर्जन कम हो जाएगा।
इसका एक सबसे बड़ा फायदा भारत को यह होगा कि अरब देशों की तेल पर भारत की निर्भता कम हो जाएगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नेशनल पॉलिसी फॉर बायोफ्यूल 2018 जारी किया था। इसमें चार सालों में एथेनॉल का उत्पादन तीन गुणा ज्यादा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अगर भारत अपने इस योजना में कामयाबी हासिल कर लेता है तो अरब देशों से की जाने वाली तेल आयात के खर्च में करीब 12 हजार करोड़ रुपए तक की कटौती की जा सकती है।