दरअसल, महाराष्ट्र में किसानों की हालात और उनके आत्महत्या करने की बढ़ती संख्या को केसीआर ने कमजोर नश के रूप में पकड़ लिया है। वे किसानों को तेलंगाना में दी जा रही सुविधाओं की महाराष्ट्र के हालात से तुलना करते हुए किसान वर्ग को आकर्षित कर अपनी पार्टी की जड़ें जमाने की कोशिश में जुटे हैं। इसके चलते ही उन्होंने महाराष्ट्र के नांदेड़ में अपनी यह दूसरी रैली आयोजित की है।
रैली को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सत्तर में से 54 साल कांग्रेस और सोलह साल भाजपा ने देश पर राज किया लेकिन, किसानों की हालत नहीं सुधरी, जबकि सत्ता की चाबी किसान के हाथ में है। इसलिए ही उनकी पार्टी ने अबकी बार किसान सरकार का नारा दिया है। जब तक हम जाति- धर्म में बंटे रहेंगे, सभी सरकारें हल्के में लेगी। अब जरूरी हो गया है कि किसान एकजुट होकर अपनी सरकार बनाए।
जनसभा में बीआरएस किसान सेल अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी, सांसद जे. संतोष कुमार, विधायक जीवन रेड्डी, महासचिव हिमांशु तिवारी, विधायक शकील अहमद, बलका सुमन व एनसीपी के पूर्व विधायक शंकरअन्ना ढोंढगे ने भी सम्बोधित किया। इस दौरान कई स्थानीय नेताओं व पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री के हाथों पटका पहनकर बीआरएस की सदस्यता ग्रहण की।