मल्टीग्रेन आटा और ब्राउन राइस हैं महंगे और फैशनेबल फूड आइटम, अच्छी सेहत के लिए क्या खाएं
Multigrain Atta and Brown Rice: क्या आप भी अच्छी सेहत के लिए मल्टीग्रेन आटा और ब्राउन राइस खरीदकर लाते हैं? अगर आपका जवाब हां है, तो आपको हकीकत पता होनी चाहिए।
Multigrain Atta and Brown Rice are costly and fashionable food: Nutritionist
ग्रेटर नोएडा। अपनी सेहत को बेहतर रखने के लिए अच्छी दिनचर्या के साथ अच्छा खानपान बहुत जरूरी है। पिछले कुछ वर्षों से बाजार में अच्छी सेहत के लिए ढेरों ऑर्गैनिक फूड आइटम्स आ गए हैं, जो अच्छी सेहत का दावा करते हैं। इसके अलावा अच्छे स्वास्थ्य के लिए मल्टीग्रेन आटे का भी जमकर प्रचार किया गया है। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो मल्टीग्रेन आटा और ब्राउन राइस (Multigrain Atta and Brown Rice) केवल फैशनेबल आइटम हैं और इनका शरीर पर किए जाने वाले दावों की तरह कोई विशेष प्रभाव नहीं होता। ये दोनों ही चीजें दाम में महंगी और काम में सस्ती हैं।
क्या मल्टीग्रेन आटा फायदेमंद है? डाइट एक्सपर्ट, न्यूट्रिशनिस्ट और हेल्थ कोच रूपाली मल्होत्रा ने बताया कि मल्टीग्रेन आटे का सेहत पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। ये ट्रेंड और फैशनेबल फूड आइटम बन चुका है। एक साथ कई प्रकार के अनाज को मिलाने से शरीर को इसके भरपूर फायदे नहीं मिलते। यह महंगा तो होता है लेकिन कोई चमत्कार नहीं करता है।
मल्टीग्रेन आटे से बेहतर विकल्प उन्होंने बताया कि मल्टीग्रेन आटे की जगह पर लोगों को गेहूं के साथ कोई भी एक अनाज मिलवा लेना चाहिए। फिर चाहे वो चना हो या ज्वार या बाजरा या मकाई या सोया या रागी। उन्होंने कहा कि गेहूं के आटे में अन्य किसी एक अनाज का आटा मिलवाएं और 15-20 दिन बाद किसी अन्य अनाज को मिलवाएं। इस तरह दो-तीन सप्ताह में आटे को बदलते रहें, जिससे आपको इसका भरपूर फायदा मिलेगा। आप चाहें तो घर पर एक अनाज पिसवाकर या पिसा हुआ पैकेट ले आएं और उसे गेहूं के आटे में मिला लें। ऐसा करना सेहत के लिए ज्यादा बेहतर है।
ब्राउन राइस की च्वाइस कितनी wise रूपाली ने आगे बताया कि ऑर्गैनिक फूड के नाम पर बाजार में एक और चीज काफी महंगी बेची जा रही है, जिसका नाम है ब्राउन राइस। उन्होंने बताया कि आम चावल की तुलना में ब्राउन राइस की लागत कम होती है, लेकिन इसकी बिक्री तीन से चार गुने दाम में की जाती है। ब्राउन राइस और सफेद चावल दोनों में ही कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बराबर होती है। हालांकि ब्राउन राइस बिना पॉलिश होता है यानी इसकी घिसाई नहीं की जाती, इसलिए इसमें महीन चावल का छिलका लगा होता है और इसमें अपेक्षाकृत ज्यादा फाइबर होता है।
कार्यशाला के दौरान सामने आई हकीकत दरअसल, सोमवार को स्वर्ण नगरी स्थित ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब में इंडो ग्लोबल सोशल सर्विस सोसाइटी और WHH द्वारा भूमिका कैंपेन पर स्वच्छ एवं स्वस्थ भोजन विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका मुख्य मकसद लोगों को बेहतर एवं स्वस्थ भोजन के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ कोरोना वायरस संक्रमण के बाद ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण चीजें था।
इस कार्यशाला में हेल्थ कोच रूपाली मल्होत्रा ने जैविक भोजन (ऑर्गैनिक फूड) के फायदे एवं उसको कब और कैसे खाया जाए इसके बारे में जानकारी दी। कार्यशाला में विभिन्न प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लगभग 50 पत्रकारों ने हिस्सा लिया और सेहत से जुड़ी तमाम बातों को बारीकियों से जाना। इस दौरान इंडो ग्लोबल सोशल सर्विस सोसाइटी की तरफ से अनुरोध सक्सेना, अब्बू बक्कर आदि मौजूद रहे।
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