नई दिल्ली. एस्सार टैपिंग के बाद चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है। इस फोन टैपिंग के बारे में पिछले तीन वर्षों से कई लोगों को जानकारी थी।
मतलब कि यूपीए और एनडीए दोनों को ही इस बारे में जानकारी थी लेकिन किसी ने भी कार्रवाई नहीं की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दायर किया गया लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला। सुप्रीम कोर्ट के वकील सुरेन उप्पल ने बताया कि किसी माइकल महर अलवैली ने उनसे संपर्क किया जो खुद को इंटरनेशनल सिविल एनफोर्समेंट ग्रुप फॉर एंटी टेररिज्म एथिक्स (आईसीईगेट) का संस्थापक और चेयरमैन बताता हैं। उप्पल ही वह वकील हैं जिनकी पीएम से शिकायत के बाद यह पूरा मामला चर्चा में आया है।
रिकॉर्डिंग का दावा
उप्पल के मुताबिक, अलवैली ने कहा कि उनके पास भी कुछ कथित रिकॉर्डिंग के हिस्से हैं और उन्होंने इस मामले में 2014 में पीआईएल दायर कर रखा है। अलवैली का कहना है कि उनके एनजीओ ने 2013 में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, सीबीआई, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट को करीब दर्जनों चिट्ठियां लिखीं लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।
रुइया, बासित को प्रतिवादी बनाया
बाद में आईसीईगेट ने फरवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और इसमें एस्सार टेलीकॉम के तत्कालीन डायरेक्टर प्रशांत रुइया और कंपनी के विजिलेंस ऑफीसर बासित खान को प्रतिवादी बनाया गया। उप्पल मामले में भी बासित खान प्रमुख चेहरा हैं। पीएमओ को लिखे पत्र में उप्पल ने दावा किया है कि बासित खान की निगरानी में ही एस्सार ने टैपिंग का पूरा काम किया।