कन्हैया के साथी थे जयंत
बता दें कि राजद पहली बार जेएनयू में चुनाव लड़ने जा रहा है। अध्यक्ष पद के लिए जिस जयंत जिज्ञासु पर उन्होंने दांव लगाया है, वह पहले कन्हैया के साथी थे। बाद में उनमें और कन्हैया में मतभेद हो गए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मुश्किल घड़ी में कन्हैया ने उनका साथ छोड़ दिया। कन्हैया जातिवादी राजनीति कर रहे हैं और पार्टी तथा संगठन को कमजोर कर खुद को प्रोजेक्ट करने में लगे हैं। बता दें कि कन्हैया के कार्यकाल में जयंत संगठन के जेएनयू सचिव थे। बता दें कि राजद का दामन थामने से पहले जयंत करीब तीन साल तक एआइएसएफ में रह चुके हैं।
कुछ माह पहले ही तेजस्वी से मिले
कुछ माह पहले ही आरजेडी के कुछ युवा नेताओं ने जयंत की मुलाकात तेजस्वी से करवाई थी। उसी के बाद तेजस्वी ने तय किया कि वह अपनी पार्टी का विस्तार दिल्ली में भी करेंगे। इसके लिए उन्होंने जेएनयू का रास्ता अख्तियार किया है। ऐसा पहली बार होगा कि राजद जेएनयू चुनाव में अपना प्रत्याशी उतारेगी। ऐसा वह अपने साथ दिल्ली के युवाओं को जोड़ने के लिए कर रहे हैं, ताकि जेएनयू के जरिये अपनी पार्टी का विस्तार दिल्ली में किया जा सके।