विशेषज्ञों का कहना है कि जलाशयों में कम पानी का बड़ा कारण पिछले साल खराब मानसून है। खासकर गंगा बेसिन में मानसून अत्यधिक अनिश्चित था। इससे पहले 2020 और 2021 में मानसून सामान्य रहा था, जिससे जलाशयों में पानी की उपलब्धता बनी रही।
विशेषज्ञों ने चेताया
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को जल संकट के लिए तैयार रहना चाहिए। हाल ही गुजरात सरकार ने कहा है कि वह किसानों को गर्मियों की फसल के लिए पानी उपलब्ध कराएगी। हालांकि सरदार सरोवर बांध के पानी को अपेक्षित कमजोर मानसून अवधि से निपटने के लिए संरक्षित करने की जरूरत है।
एमपी के कुछ जिलों में गहरा गया संकट
गर्मी की शुरुआत में ही मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में जल संकट गहराने लगा है। खास तौर से ग्रामीण क्षेत्रों में। उज्जैन, मंडला, सीहोर, बालाघाट, रतलाम, छिंदवाड़ा, सागर, छतरपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पेयजल के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। सीहोर जिले के 25 से ज्यादा गांव प्रभावित हैं। बालाघाट शहर के कुछ वार्डों में पेयजल सप्लाई सुचारू नहीं हो पा रही है। रतलाम जिले के 200 गांवों में समस्या है। छिंदवाड़ा के जिला अस्पताल में टैंकरों का सहारा लेना पड़ रहा है।
राजस्थान में 19,670 लाख क्यूबिक मीटर आरक्षित राजस्थान को जलदाय विभाग ने 228 शहरों (छोटे-बड़े) में विभक्त कर रखा है। यहां सालाना करीब 24,000 लाख क्यूबिक मीटर पेयजल की आवश्यकता रहती है। जल संसाधन विभाग के अधीन बांधों में उपलब्ध पानी के आधार पर 19,670 लाख क्यूबिक मीटर पानी पेयजल के लिए आरक्षित किया गया। बची डिमांड की आपूर्ति जलदाय विभाग ट्यूबवैल और अन्य स्थानीय जल स्रोतों से करेगा। यदि स्थानीय जल स्रोत और भूजल से पानी की उपलब्धता कम रहती है तो पेयजल आपूर्ति में कटौती करनी होगी।