SBI के पांच पूर्व सहयोगी बैंक एवं भारतीय महिला बैंक के चेक और IFSC कोड 30 सितंबर 2017 के बाद मान्य नहीं होंगे। इन्हें 1 अक्टूबर से अमान्य करार दिया जाएगा। एसबीआई ने ग्राहकों से कहा है कि नई चेक बुक के लिए इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, एटीएम या फिर शाखा में जाकर तुरंत आवेदन करें। जिन सहयोगी बैंकों का एसबीआई में विलय हुआ है उनमें स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर , स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और भारतीय महिला बैंक शामिल हैं।
ट्राई ने कॉल कनेक्ट करने के लिए एक टेलीकॉम ऑपरेटर की ओर से दूसरे को अदा किए जाने वाले कॉल टर्मिनेशन शुल्क को 14 पैसे से घटाकर छह पैसे प्रति मिनट कर दिया है। शुल्क की नई दर पहली अक्टूबर से लागू होगी। यही नहीं, जनवरी, 2020 से इस शुल्क को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा।
एसबीआई ने मिनिमम मंथली एवरेज बैलेंस लिमिट को कम कर दिया है। अब मेट्रो शहरों में सेविंग बैंक अकाउंट होल्डर के लिए 3,000 रुपए का मिनिमम एवरेज बैलेंस ही अनिवार्य होगा। इससे पहले यह लिमिट 5,000 रुपए थी। यह नया नियम 1 अक्टूबर से प्रभावी होगा। वहीं अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मिनिमम बैलेंस की शर्त 2,000 रुपए और 1,000 रुपए पर बरकरार रहेगी।
एसबीआई ने पहली अक्टूबर से एकाउंट बंद कराने के चार्जेस में बदलाव किया है। नए नियमों के मुताबिक अगर कोई ग्राहक खाता खुलवाने के एक वर्ष के भीतर उसे बंद करवाता है तो उसे किसी भी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ेगा। साथ ही यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके खाते की सेटलमेंट की जाती है और खाता बंद किया जाता है तो उस स्थिति में भी कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा। रेग्युलर सेविंग बैंक एकाउंट और बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट एकाउंट के बंद कराने पर भी किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा। वहीं, कोई खाताधारक एकाउंट खुलने के 14 दिनों के भीतर उसे बंद करवाता है तो कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा।
एक अक्टूबर से राष्ट्रीय राजमार्गों की सभी लेनों में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्रणाली लागू हो जाएगी। यही नहीं, इसके लिए जरूरी फास्टैग अब ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने ‘माई फास्टैग’ और ‘फास्टैग पार्टनर’ नाम के दो मोबाइल एप भी लॉन्च किए हैं।
जीएसटी लागू होने के बाद 1 अक्टूबर से बाजार में पुरानी एमआरपी वाला समान नहीं बेचे जाने का नियम आने वाला था। अब नए आदेश के मुताबिक इसे 1 जनवरी 2018 से लागू किया जाएगा। सरकार के आदेश अनुसार सभी प्रोडक्ट्स पर नई एमआरपी लिखकर बेचना होगा और इसमें जीएसटी अलग से नहीं लगाया जा सकेगा। अगर कोई पुरानी एमआरपी पर सामान बेचता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।