नई दिल्ली

ऐसा क्या हुआ जो निर्दलीय ने थाम लिया एनएसयुआई का दामन…

पूर्व में लगातार दो बार एनएसयूआई के हनुमान बांगड़ा व एक बार महेन्द्र डूकिया ने दी संगठन को पहचान, छात्र कांग्रेस चुनाव में नए पुरानों के बीच मुकाबला,

नई दिल्लीJun 10, 2017 / 11:27 am

shyam choudhary

नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इण्डिया संगठन (एनएसयूआई) के प्रदेशाध्यक्ष व जिलाध्यक्ष पद के चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। अगले सप्ताह में जिला कांग्रेस कार्यालय में चुनाव होंगे। जिलाध्यक्ष पद के लिए नागौर जिले से सात प्रत्याशियों ने आवेदन किया है। इस बार के चुनाव में खास बात यह है कि ना सिर्फ एनएसयूआई कार्यकर्ता चुनाव लड़ेंगे, बल्कि निर्दलीय छात्र संघ चुनाव लड़ चुके उम्मीदवार भी मैदान में उतरे हैं। अब देखना यह है कि इस बार एनएसयूआई की कमान कौन सम्भालेगा। जबकि वर्ष 2010 से अब तक एनएसयूआई का कार्यकर्ता ही संगठन की कमान सम्भालता आया है। इसमें दो बार हनुमान बांगड़ा व एक बार महेन्द्र डूकिया जिलाध्यक्ष रह चुके हैं।

3533 सक्रिय सदस्य चुनेंगे जिलाध्यक्ष

जिलाध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव में जिलेभर से 3533 सक्रिय सदस्य जिलाध्यक्ष का चुनाव करेंगे। इससे पहले जिलेभर के सभी मान्यता प्राप्त सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण संस्थान के विद्यार्थी सक्रिय सदस्य के रूप में अपना वोट देंगे। पांच सदस्यों पर एक सक्रिय सदस्य बनाया गया है। जिले में कुल 3533 सक्रिय सदस्य हैं, जो जिलाध्यक्ष को चुनेंगे। अध्यक्ष का चुनाव हारने वाले को उपाध्यक्ष पद दिया जाएगा।

निर्दलियों ने थामा एनएसयूआई का दामन

एनएसयूआई जिलाध्यक्ष पद के लिए जिले से जिन सात जनों ने आवेदन किया है। उनमें लाडऩंू से गौरव खण्डेलवाल, मेड़ता से सुरेन्द्र बापेडिय़ा, नागौर से सुरेश भाकर व रामलाल जाजड़ा, कुचेरा से राजेन्द्र डूकिया व महिपाल, लाडऩू से मनीष ने अजमेर जाकर आवेदन किया है। संगठन के जिलाध्यक्ष पद के लिए आवेदन करने वाले निर्दलीयों को लेकर छात्र राजनीति में खासी हल-चल है। सुरेश भाकर की बात करें तो गत वर्ष मिर्धा कॉलेज छात्र संघ अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान वे एनएसयूआई कार्यकर्ताओं के सामने चुनाव मैदान में उतरे थे। इतना ही नहीं चुनाव में एनएसयूआई से जीते छात्रसंघ अध्यक्ष मोहित चौधरी के लिए कई अन्य छात्र नेताओं के साथ मिलकर समस्याएं खड़ी की। इधर, सुरेश भाकर का कहना है कि वह 13 अक्टूबर 2016 को एनएएसयूआई से जुड़ चुके हैं और भविष्य में संगठन की मजबूती व छात्रहितों लेकर समर्पित भाव से कार्य करेंगे।

संगठन की मजबूती में आ सकती है कमी

एनएसयूआई जिलाध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर कई कार्यकर्ताओं व पूर्व पदाधिकारियों का कहना है कि संगठन के उच्च पदाधिकारियों को ऐसा नहीं करना चाहिए कि किसी भी संगठन के सदस्य को एनएसयूआई का चुनाव लडऩे की स्वीकृति दें। इससे वर्षों से संगठन की मजबूती के लिए समर्पित भाव से काम करने वाले कार्यकर्ताओं की कार्यशैली में बदलाव आ सकता है, हो सकता है वे संगठन से किनारा भी कर लें। इस बार के चुनाव में पहली बार होगा कि जिलाध्यक्ष चुनाव के लिए जिला मुख्यालय पर मतदान होगा। इससे पहले जयपुर व बीकानेर में मतदान होता था। 

मेरा मानना है कि संगठन में आने के बाद हर कार्यकर्ता या पदाधिकारी को अपनी ईमानदारी व समर्पित भाव से संगठन की मजबूती के लिए काम करना चाहिए। यदि संगठन मजबूत होगा तो वे खुद भी मजबूत होगा। एनएसयूआई ने जिले में विद्यार्थियों के लिए कई सुविधाओं का विस्तार करवाकर अपनी पहचान बनाई है।
हनुमान बांगड़ा, पूर्व जिलाध्यक्ष, एनएसयूआई

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