गुजरात का है केमिकल पेट्रोलियम पदार्थ
रसद विभाग ने तीनों टैंकों में कारीगरों के माध्यम से जांच कराई तो वहां 13 हजार लीटर का टैंक खाली था लेकिन बीस-बीस हजार लीटर क्षमता के इन दोनों टैंकों से 23 हजार 650 लीटर जिसे किलो के रूप में बरामद कर सीज किया गया है। यह केमिकल गुजरात से लाना बताया गया। इसे बायोडीजल के रूप में प्रचारित कर वाहनों में डालकर बेचा जा रहा था। हालांकि मकान मालिक का कहना था कि यह गुजरात से मंगवाकर इसे पंजाब की फैक्ट्रियों में बेचने की प्रक्रिया अपनाई जाती है, लेकिन इसके पास महज एक कागज मिला, इस पर सम पेट्रोल केमिकल खरीद के संबंध में वर्ष 2021 अंकित किया हुआ था। डीएसओ ने बताया कि डीजलनुमा पदार्थ को सीज कर किया गया है। इस केमिकल्स के बारे में जांच कराई जाएगी। इसके अलावा यह भी पता लगाया जाएगा कि यह पदार्थ पंजाब में बेचा जा रहा था या इलाके के वाहनों या पंप संचालकों को बेचा जा रहा था।डेढ़ दशक से चल रहा था यह धंधा
इधर, ग्रामीणों का कहना है कि यह धंधा पिछले पन्द्रह साल से चल रहा था, इस धंधे में अकेला विजय कुमार नहीं था, राजनीति एप्रोच रखने वाले कई लोग शामिल थे। जब भी घटना या कार्रवाई होती तो राजनीतिक एप्रोच रखने वाले ये लोग ऊंचती प्रक्रिया अपनाते। इस वजह से पुलिस या रसद विभाग ने कभी बड़े पैमाने पर यहां कार्रवाई नहीं की।पूरा गांव आ जाता आग की चपेट में
डीएसओ सुमित्रा बिश्नोई ने बताया कि आग की घटना के बाद वह खुद जांच करने के लिए वहां पहुंची तो वहां पेट्रोलियम पदार्थ स्टोरेज के तीन टैंक मिले है। इसमें से 26 हजार से अधिक पेट्रोलियम पदार्थ बरामद कर सीज किया गया है। वहीं आग की घटना स्थल से 990 लीटर डीजल भी जब्त किया गया है। इस संबंध में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष इस्तगासा दायर किया जा एगा। इसके अलावा लालगढ़ पुलिस ने बृजलाल उर्फ विजय सिंह, बृजलाल के बेटे विक्रम और भाई रामसिंह के खिलाफ मामला दर्ज भी किया है। इतना पेट्रोलियम पदार्थ था कि इसमें आग लगती तो पूरा गांव जल उठता।आग लगी तब वहां डीजल के भरे हुए थे ड्रम
गणेशगढ़ के इस घर में जब आग लगी तब कई डीजल से भरे ड्रम थे। इसमें से कई ड्रम तो मौके से मकान मालिक के परिचित ले गए तो कुछ ड्रमों को लेकर ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों के सुपुर्द कर दिए। इस पर डीएसओ ने 990 लीटर डीजल जब्त किया है। दो साल पहले जब आग लगी थी तब ग्रामीणों ने इस मकान की तलाशी करने का आग्रह किया था लेकिन तब किसी भी एजेंसी ने गंभीरता से नहीं लिया।