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कैंसर मरीज के लिए जीवनदायिनी बनी सीएआर टी थेरेपी

हमजा को वर्ष 2020 में कैंसर का पता चला था। उसे बार-बार कीमोथेरेपी की जरूरत पड़ रही थी। वर्ष 2022 में कैंसर वापस आ गया। मानक कीमोथेरेपी और एक ऑटोलॉगस स्टेम सेल प्रत्यारोपण अप्रभावी साबित हुआ

बैंगलोरMay 22, 2024 / 08:53 pm

Nikhil Kumar

फॉलिक्यूलर लिंफोमा कैंसर का एक प्रचलित लेकिन आक्रामक रूप है, जो अक्सर मानक उपचारों के प्रति प्रतिरोधी साबित होता है।

CAR T therapy या काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर टी – सेल थेरेपी फॉलिक्यूलर लिम्फोमा (लिम्फ नोड्स का कैंसर) से करीब चार वर्षों से जूझ रहे 42 वर्षीय मरीज हमजा खान के लिए जीवनदायिनी बनी।

इस थेरेपी में तकनीक की मदद से मरीज के शरीर में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाओं (white blood cells) के टी-सेल्स को निकाला जाता है। इसके बाद टी सेल्स और व्हाइट ब्लड सेल्स को अलग-अलग तरह से शरीर में डाला जाता है। थेरेपी पूरी होने के बाद टी सेल्स cancer से लड़ने का काम करती है। सीएआर टी थेरेपी इम्यूनोथेरेपी का एक अभूतपूर्व रूप है। इसका उपयोग मुख्य रूप से कुछ प्रकार के कैंसर, विशेष रूप से ल्यूकेमिया और लिम्फोमा जैसे रक्त कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है।
नारायण हेल्थ सिटी में बोन मैरो विशेषज्ञ डॉ. शरत दामोदर ने मंगलवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि फॉलिक्यूलर लिंफोमा कैंसर का एक प्रचलित लेकिन आक्रामक रूप है, जो अक्सर मानक उपचारों के प्रति प्रतिरोधी साबित होता है। सीएआर टी-सेल थेरेपी ने कैंसर उपचार के परिदृश्य में क्रांति लाई है। यह उन मरीजों के लिए नई उम्मीद है, जिनके पास उपचार के पारंपरिक विकल्प समाप्त हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि हमजा को वर्ष 2020 में कैंसर का पता चला था। उसे बार-बार कीमोथेरेपी की जरूरत पड़ रही थी। वर्ष 2022 में कैंसर वापस आ गया। मानक कीमोथेरेपी और एक ऑटोलॉगस स्टेम सेल प्रत्यारोपण अप्रभावी साबित हुआ। कोविड के कारण उसकी स्थिति और खराब हो गई थी। नवंबर 2022 में थेरेपी के बाद से कैंसर वापस नहीं आया है।

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