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पुस्तक मेला के आधे स्टॉल बंद, जो खुले उनमें मार्केट से अधिक दामों में बिक रही शैक्षिण सामग्री

महंगे स्कूलों की एक भी किताब नहीं, बाहर से लाकर देने ग्राहकों करा रहे इंतजार

शाहडोलMay 12, 2024 / 12:10 pm

Sandeep Tiwari


महंगे स्कूलों की एक भी किताब नहीं, बाहर से लाकर देने ग्राहकों को करा रहे इंतजार

शहडोल. निजी स्कूलों की मनमानी रोकने व अभिभावकों को किफायती दरों में पुस्तक उपलब्ध कराने के उद्ेश्य से लगाए गए पुस्तक मेला में भी मनमानी का आलम देखने को मिल रहा है। 10 मई को नगर के शासकीय रघुराज स्कूल में तीन दिवसीय पुस्तक मेला में कई तरह की लापरवाही सामने आई है। मेले में आए परिजनों को परेशानियों के सिवा कुछ हाथ नहीं लग रहा है। शनिवार को पत्रिका की टीम पुस्तक मेला की हकीकत जानने दोपहर 1.30 बजे पहुंची तो यहां कई तरह की कमियां सामने आई। प्रशासन ने अभिवाकों को एनसीआरीटी की पुस्तकों के साथ ही अन्य प्रकाशकों की पुस्तकों में छूट के साथ किफायती दरों में उपलब्ध कराने मेले का आयोजन किया। लेकिन दुकानदारों ने इसे घाटे का सौदा समझते हुए मेला में प्रमुख स्कूलों व बड़ी कक्षाओं की पुस्तकों को शामिल नहीं किया। जिसके कारण कई अभिवावक परेशान होते नजर आए। वहीं जिन स्कूलों की पुस्तक उपलब्ध थी उसमें दुकानदार अभिभावकों को यह स्पष्ट नहीं करा सके कि वास्तव में उन्हें 20 से 25 प्रतिशत की छूट मिल रही है या नहीं। पत्रिका टीम ने पुस्तक मेला के सर्वे में पाया कि दुकानदार किताब, कॉपी व अन्य सामग्री की कुल खरीदी में 150 से 200 रुपए माइनस कर बाकी का भुगातन ले रहे थे। इससे यह स्पष्ट कर पाना मुश्किल हो रहा था कि पुस्तकों में कितने प्रतिशत की छूट दी जा रही है। वहीं कॉपियों में 35 से 50 प्रतिशत की छूट दी जा रही थी।
1 लाख 70 हजार से अधिक की खरीदारी
पुस्तक मेला में शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को तैनात किया गया था, जो हर एक अभिवावकों से खरीदी की जानकारी का लेखा जोखा तैयार कर रहे थे, बातचीत में बताया कि शभारंभ से लेकर शनिवार दोपहर तक करीब 1 लाख 70 हजार रुपए की पुस्तक व शैक्षणिक सामग्रियों की बिक्री की जा चुकी है। पुस्तक मेेला का समापन रविवार की शाम को किया जाएगा।
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शुभारंभ के दिन पुस्तक मेला में 11 स्टॉल लगाए गए, वहीं दूसरे दिन सिर्फ छह में ही खरीदारी हो रही थी, बाकी के स्टॉल खाली पड़े थे। छह दुकानों में दो दुकानें सिर्फ शैक्षणिक सामग्री, टीएलएम व कॉपियोंं से सजी हुई थी। यहां दुकान से महंगे दामों में सामग्री बिक्री करने पर ग्राहक वापस लौट रहे थे।
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शहर के प्रमुख निजी स्कूलों की पुस्तकें अधिकांश दुकानों में उपलब्ध नहीं थी, दुकानदार अभिवावकों से कुछ देर का समय लेकर बाहर से लाकर देने की बात कह रहे थे, वहीं कुछ दुकानदार अभिवावकों को विजिटिंग कार्ड थमा कर मार्केट स्थित दुकान जाने की सलाह दे रहे थे।
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पत्रिका टीम ने खुद ग्राहक की हैसियत से जब दुकानदारों से प्रमुख निजी स्कूल की कक्षा 5 वीं व 8 वीं की पूरी पुस्तक देने की बात कही, तो दुकानदार ने कहा कुछ ही सेट लेकर आए थे जो खत्म हो गए हैं। कुछ समय का इंतजार कर लिजिए हम बाहर से मंगा कर दे देते हैं। वहीं एक विक्रेता ने विजिटिंग देते हुए अपने दुकान का पता बता दिया।
कक्षा 10 अंग्रेजी माध्यम की पुस्तक लेने आए अभिभावक सूरज प्रसाद चौधरी ने बताया कि किसी भी दुकान में पुस्तक नहीं मिल रही है, दुकानदार शाम तक पुस्तक उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं। जिस कारण वह पुस्तक मेला में बिना खरीदी किए वापस चले गए।
मेला में नर्सरी कक्षा की पुस्तक लेने आए मो. इजराइल खान ने बताया कि नर्सरी की पुस्तक व एक बैग की कीमत 1600 रुपए बताई जा रही है, जो मार्केट से काफी ज्यादा हैं, बाजार में 200 से 250 में बैग मिल जाते हैं लेकिन यहां पर 500 रुपए से अधिक है।
इनका कहना
शाम तक पुस्तक मेला में सभी दुकानें लग गई थी, कुछ दुकानदारों को शंका थी कि मेला में खरीदारी नहीं होगी इसलिए पर्याप्त मात्रा में स्टॉक नहीं लाए थे, शाम को अपने निजी वाहनों से स्टॉक लाकर ग्राहकों को उपलब्ध करा रहे हैं।
पीएस मारपाची, जिला शिक्षा अधिकारी

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