लखोटिया चौक में दशकों से हो रहे नृसिंह महोत्सव में धारण किए जाने वाले नृसिंह व हिरण्यकश्यप के मुखौटे विशेष और आकर्षण का केन्द्र बने रहते है। महोत्सव आयोजन से जुड़े दिलीप दाधीच के अनुसार ये मुखौटे मिट्टी-कट्टी से बने है, जिनकी चमक व आकर्षण दशकों बाद भी बरकरार है। अन्य स्थानों पर होने वाले नृसिंह महोत्सवों में मुखौटे धातुओं से बने है।
पहले कपड़ा फिर चेहरे पर मुखौटा भगवान नृसिंह व हिरण्यकश्यप की भूमिका निभाने वाले कलाकारों के सिर पर पहले धोती का कपड़ा लपेटा जाता है। फिर उसे गुलाबजल से तर किया जाता है ताकि ठंडक बनी रहे। इसके बाद सिर पर नृसिंह अथवा हिरण्यकश्यप का मुखौटा पहनाया जाता है। दाधीच के अनुसार लखोटिया चौक में भगवान नृसिंह स्वरूप का मुखौटा करीब पांच किग्रा वजनी और हिरण्यकश्यप का मुखौटा करीब चार किग्रा वजन का है। इन मुखौटों की चमक दशकों बाद आज भी बरकरार है। हर साल इन मुखौटों की सार-संभाल और रंग रोगन का कार्य होता है।
मंदिरों में चल रही तैयारियां नृसिंह चतुर्दशी को लेकर नृसिंह मंदिरों में तैयारियां चल रही है। मंदिरों के रंग रोगन के साथ रंग बिरंगी रोशनी से सजाने का क्रम प्रारंभ हो गया है। 21 मई को भगवान नृसिंह का प्राकट्य दिवस मनाया जाएगा। सुबह से रात तक अभिषेक, पूजन, श्रृंगार, आरती, प्रसाद वितरण और दर्शनों का क्रम चलेगा। मंदिर ट्रस्ट, समितियां, मोहल्ला निवासी और श्रद्धालु नृसिंह जयंती की तैयारियों में जुटे हुए है। शहर में नत्थूसर गेट के बाहर, फरसोलाई, रघुनाथसर मंदिर के पास, लखोटिया चौक, डागा चौक, दम्माणी चौक, मनावत गली लालाणी व्यास चौक, दुजारी गली, गोगागेट के बाहर आदि स्थानों पर नृसिंह महोत्सव के आयोजन होंगे।