ऐसे मनेगी सार्थक दिवाली, तभी होगी सुख और समृद्धि की बारिश
आज शहरों में दौड़ रहीं सैकड़ों छोटी, बड़ी और विशाल कचरा गाडिय़ों पर नजर दौड़ाते हैं तो मन में विचार आता है आखिर हम कैसा जीवन जी रहे हैं जो इतना कचरा निकाल रहा है।
ऐसे मनेगी सार्थक दिवाली, तभी होगी सुख और समृद्धि की बारिश
जय द्विवेदी. भारत में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में दीपावली पर्व कुछ अनूठा है। यह एक या दो दिन नहीं पूरे पांच दिन का उत्सव है। लेकिन लोग इसकी तैयारी दशहरे से ही शुरू कर देते हैं।
तो आइये, आज बात करते हैं इस पारंपरिक त्योहार के पीछे छुपे उस उद्देश्य की जो इसे बेहद खास बनाता है। इसके लिए हमें इसके बाजारीकरण को भूल कर भूतकाल में लौटना होगा।
याद करिए अपनी दादा-दादी/नाना-नानी या उनसे पहले की पीढ़ी को। आज शहरों में दौड़ रहीं सैकड़ों छोटी, बड़ी और विशाल कचरा गाडिय़ों पर नजर दौड़ाते हैं तो मन में विचार आता है आखिर हम कैसा जीवन जी रहे हंै जो इतना कचरा निकाल रहा है।
तभी याद आता है मात्र 20 से 25 साल पुराना समय जब घर में कई-कई बार सफाई के बाद भी कचरे में सिर्फ धूल और चारा निकलता था। रसोई घर से बचा हुआ खाना और झूठे बर्तनों का अन्न घर के पशुओं को बासी होने से पहले ही दे दिया जाता था। बर्तन चूल्हे से निकली राख से मांज दिए जाते थे और बाथरूम से पानी के अलवा किसी तरह का डिटर्जेंट नहीं बहता था।
सिर्फ दो से तीन दशकों में हमने दिनचर्या में इतने गैर जरूरी उत्पादों को शामिल कर लिया है कि अगले ही दिन हम इनसे छुटकारा पाने के लिए तड़पने लगते हैं। तीन दिन यदि घर से कचरा न निकले तो हमारा घर रहने लायक नहीं रहेगा।
ठीक यही हाल हमने अपने शरीर का भी कर लिया है। भोजन में हम इतना जहर खा रहे हैं कि शरीर बेचैन हो उठा है। बीमारियों से जूझता आत्मा का यह मंदिर अब त्राहि-त्राहि कर रहा है।
ऐसे में आइए अपने जीवन में घर कर चुके इस कचरे को साफ करें और इस बार सार्थक दीपावली मनाएं, तभी होगी सुख और समृद्धि की बारिश।
Home / News Bulletin / ऐसे मनेगी सार्थक दिवाली, तभी होगी सुख और समृद्धि की बारिश