-अधिकांश परिवार मजदूरी वर्ग से जुड़े।
-एफ-७५ और एफ-१०० फार्मूले पर यकीन न होना।
-जागरुकता की कमी।
-वजन कम होने को नहीं मानते कुपोषण। वर्शन
वर्तमान में एनआरसी में १७ कुपोषित बच्चे भर्ती हैं। पिछले महीने एक बच्चे को बगैर सूचना के परिजन घर ले गए थे। मिनिमम ७ दिन सभी बच्चे भर्ती हो रहे हैं। बीच-बीच में एनआरसी में कुपोषित बच्चों की संख्या काफी कम रही है।
शिशु रोग विभाग की ओपीडी से अधिकांश कुपोषित बच्चे चिंहित हो रहे हैं। आगनबाड़ी केंद्रों से काफी कम संख्या में बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं। डॉ. राजेश नामदेव, सिविल सर्जन