बेसकॉम के अधिकारियों के अनुसार सेल्फ-बिलिंग सॉफ्टवेयर अगले दो या तीन महीनों में उपलब्ध हो सकता है, लेकिन प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर के कार्यान्वयन में समय लगेगा। ऐसे में बेसकॉम के अधिकारियों ने केइआरसी को पत्र लिखकर 1 अक्टूबर तक का समय मांगा है। विद्युत आपूर्ति कंपनियों (एस्कॉम) के खुदरा दुकानों पर प्रीपेड मीटर खरीदते समय उपभोक्ताओं को निश्चित भुगतान करना होगा। साथ ही उपभोक्ताओं को मौजूदा टैरिफ दरों के अनुसार खपत के अनुसार शुल्क का भुगतान करना होगा और उसके बाद आवश्यकता पडऩे पर वे 100 रुपए के गुणकों में ऊर्जा शुल्क रिचार्ज कर सकते हैं।
इसलिए हो रही देरी बेसकॉम के एक अधिकारी ने कहा, हमने प्रीपेड मीटर के कार्यान्वयन के लिए सिस्टम स्थापित करने के लिए मार्च में एक निविदा आमंत्रित की थी। लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता की घोषणा के बाद इस प्रक्रिया को रोकना पड़ा। अब हम 4 जून के बाद ही दोबारा टेंडर मंगा सकेंगे। फिर पूरी प्रक्रिया पूरी होने में कुछ समय लगेगा। इसलिए, केइआरसी को पत्र लिखकर एक अक्टूबर तक का समय मांगा गया है।
केइआरसी के अध्यक्ष पी. रविकुमार ने कहा कि उन्हें अब तक बेसकॉम से कोई संचार नहीं मिला है। उन्हें 1 अप्रेल तक प्रीपेड मीटर लागू करने का निर्देश दिया गया है और यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो एस्कॉम को जमा राशि का नुकसान होगा।
अपग्रेड संभव रवि कुमार के अनुसार नए स्मार्ट बिजली मीटर खरीदने के बजाय उपभोक्ता जल्द ही अपने मौजूदा डिजिटल या स्टेटिक मीटरों को उपयुक्त ऐड-ऑन मॉड्यूल और सॉफ्टवेयर के साथ अपग्रेड कर सकेंगे। स्मार्ट मीटर लगाने के बजाय मौजूदा बिजली मीटरों (जो पिछले 20 वर्षों में लगाए गए हैं) में एक बॉक्स जैसा उपकरण (स्मार्ट मॉड्यूल) लगाया जा सकता है। इससे बिजली आपूर्ति कंपनियों को काफी फायदा होगा।
जांच के निर्देश स्मार्ट मॉड्यूल को एकीकृत करने से पहले एस्कॉम को मौजूदा मीटरों की उम्र, स्थिति और तकनीकी अप्रचलन जैसे विभिन्न कारकों की जांच के निर्देश भी दिए गए हैं ताकि स्मार्ट मॉड्यूल को एकीकृत करने में किए गए निवेश को उचित ठहराया जा सके। डेटा चोरी से बचने के लिए, आयोग ने बिजली उपयोगिताओं को एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल और अन्य साइबर सुरक्षा उपाय करने का भी निर्देश दिया है।