अजमेर. भर्ती परीक्षाओं में बार-बार दस्तावेज जांचने और पुलिस प्रमाणीकरण खत्म करने की मंशा तीन साल से अटकी हुई है। कांग्रेस राज की वन टाइम वेरिफिकेशन योजना फिलहाल गुम हो चुकी है। आगे भी कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।आरपीएससी और कर्मचारी चयन बोर्ड, आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा भर्ती परीक्षा सहित कॉलेज लेक्चरर, स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा, कृषि, कारागार, चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कनिष्ठ लिपिक, लैब तकनीशियन, कनिष्ठ लेखाकार और अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं कराता है। इनके लिए अभ्यर्थी ऑनलाइन फार्म भर फीस जमा कराते हैं।
बार-बार दस्तावेजों की जांचफिलहाल भर्ती परीक्षाओं में पास होने वाले अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच साक्षात्कार अथवा काउंसलिंग में होती है। इसके लिए अभ्यर्थियों को मूल शैक्षिक, सह शैक्षिक दस्तावेज और इनकी फोटो कॉपी लानी पड़ती है। हर भर्ती परीक्षा में पास होने पर यही प्रोसेस होता है।
पढ़ें यह खबर भी: Lok sabha election 2024: गहलोत बोले-केवल कांग्रेस पर टार्गेट, लगातार झूठ बोल रही सरकार पूर्व सीएम ने की थी घोषणा… प्रत्येक भर्ती परीक्षा के लिए अभ्यर्थी को बार-बार आवेदन करना पड़ता है। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने 2021 में वन टाइम वेरिफिकेशन की घोषणा की थी। राजस्थान लोक सेवा आयोग, कर्मचारी सेवा बोर्ड में तत्काल शुरुआत होनी थी। देशभर में यूपीएससी सहित राज्य लोक आयोगों के लिए यह योजना मॉडल बन सकती थी। भविष्य में इसे कब अमली-जामा पहनाया जाएगा यह कहना फिलहाल मुश्किल है।
नहीं बन पाया कोई प्रोग्राम सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा अन्य संस्थाओं के स्तर पर वन टाइम वेरिफिकेशन का कोई प्रोग्राम नहीं बन पाया है। तीन साल में भी राज्य सरकार और संस्थानों के स्तर पर प्रयास नहीं किए गए हैं। इसके चलते एक अहम योजना को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है। योजना शुरू होती थी भर्ती एजेंसियों और अभ्यर्थियों को बहुत फायदा मिल सकता था। बार-बार दस्तावेज जांचने अथवा फर्जी डिग्री-मार्कशीट पकड़ने में भी आसानी होती।
विशेषज्ञों ने गिना दी कई पेचीदगियां – सभी यूनिवर्सिटी की 50 साल की डिग्री-सर्टिफिकेट ऑनलाइन – आवेदक-अभ्यर्थियों के बनें डिजिलॉकर – 50 साल का रिजल्ट डाटा हो ऑनलाइन – आरपीएससी के पास हो तमाम ऑनलाइन डाटा
– प्रशिक्षित स्टाफ और तकनीकी सपोर्ट सिस्टम वन टाइम वेरिफिकेशन के ये फायदे – अभ्यर्थियों के दस्तावेज खोने-फटने का खतरा नहीं – भर्ती परीक्षाओं, काउंसलिंग, नियुक्तियों के दौरान बार-बार वेरिफिकेशन से मुक्ति
– कोई शक होने पर मूल दस्तावेज से मिलान करना आसान – अभ्यर्थियों के लिए बनाई जा सकती है डिजिलॉकर सुविधा पढ़ें यह खबर भी: मई से फिर शुरू होंगी RPSC की भर्ती परीक्षाएं, यहां देखें जून से अगस्त तक होने वाली परीक्षाओं की लिस्ट
फैक्ट फाइल भर्ती संस्थानों में आवेदन- 1.50 करोड़ परीक्षा शुल्क से कमाई- 100 करोड़ बड़ी परीक्षाओं में खर्च- 40 से 50 लाख छोटी परीक्षाओं में खर्च- 20 से 30 लाख
काउंसलिंग में खर्चे- 15 से 20 लाख वन टाइम वेरिफिकेशन के लिए प्रोग्राम बनाने और लागू करने की जरूरत है। इससे भर्ती संस्थानों और अभ्यर्थियों को सहूलियत होगी। डिग्री-मार्कशीट और रिजल्ट डाटा को भी डिजिटल रिकार्ड में तब्दील किया जा सकता है। कई तकनीकी संस्थान इसके लिए सेवाएं दे रहे हैं।
डॉ. शिवसिंह राठौड़, पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष, आरपीएससी