डिंडौरी. जहां चाह वहां राह की मिशाल पेश करने की तर्ज पर जिले के बैगाओं ने जल संकट से निपटने का उदाहरण पेश किया है। ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास से पहाड़ी के पानी को अपनी कार्यकुशलता से घर-घर पहुंचा दिया है। जिसके बाद जल संकट से जूझ रहे बैगा परिवारों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध होने लगा है। जिले में व्याप्त जल संकट के बीच यह सुखद व्यवस्था जिले के अंतिम छोर छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पर बसे वन ग्राम दलदल कपोटी में बनाई गई है। जहां जिले के सबसे सुदूर गांव के ग्रामीण जल संरक्षण की मिशाल पेश कर रहे हैं। दरअसल डिंडौरी जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पर स्थित दलदल कपोटी गांव में 100 फीसदी बैगा जनजाति के लोग निवासरत हैं। गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर जंगल के पास एक प्राकृतिक जलस्रोत है, जिसके आसपास पर्याप्त पानी है। पानी की धारा यहां अविरल बहते रहती है। करीब पांच साल पहले एक निजी संस्था के सहयोग से ग्रामीणों ने आपस में चंदा जुटाकर एक ऐसा जुगाड़ बनाया है जिससे आज भी पूरा गांव अपनी प्यास बुझा रहा है।
पानी को सहेजा, पेश की मिसाल
कपोटी गांव के ग्रामीण जल संरक्षण की मिसाल पेश कर रहे हैं। विशेषता यह है कि पहाड़ी से पानी की सप्लाई लाने के लिए न तो बिजली और न ही किसी प्रकार के मोटर की आवश्यकता है। इसके बाबजूद पाइपलाइन के जरिए प्रत्येक घरों में 24 घंटे पर्याप्त जलापूर्ति हो रही है। जंगलों एवं पहाड़ों के अंदर से निकल रहा ये कुदरती पानी काफी गुणकारी है। भीषण गर्मी के बाद भी यह शीतल है, ग्रामपंचायत के सरपंच निर्भय तेकाम ने बताया कि करीब पांच साल पहले गांव में पानी की काफी समस्या रहती थी। जिसके बाद एक संस्था की मदद से ग्रामीणों ने संकल्प लिया और सामूहिक प्रयास से घर-घर तक पानी पहुंचनाने में सफलता हासिल की।
देशी जुगाड़ से दूर की पानी की समस्या
योजना सरकारी सिस्टम को मात दे रही है। सरपंच ने बताया कि गांव से कुछ ही दूरी में पहाड़ी पर प्राकृतिक जलस्रोत के पास कांक्रीट का एक टैंक का निर्माण कराया गया है। वहीं कुछ ही दूरी पर एक फिल्टर बनाया गया है। इस काम के लिए गांव के प्रत्येक सदस्य ने आपस में 100-100 रुपए चंदा जुटाया और स्वयं भी श्रमदान किया। गांव के बच्चे, महिलाएं व पुरुष सबने मिलकर पाइपलाइन के लिए गड्ढा खोदा, घरों में स्टैंड पोस्ट भी खुद बनाए। इस तरह सभी के सहयोग से हमेशा के लिए जलसंकट से निजात मिल गया। इससेे ग्रामीण न सिर्फ अपनी प्यास बुझाते हैं बल्की दीगर कामों में भी पानी का उपयोग करते हैं।