जो करीब 16 फुटबॉल मैदानों जितना है। यह 25 लाख चूनापत्थरों के खंडों से निर्मित है। इनमें से हर एक का वजन 2 से 30 टन के बीच है। पिरामिड को इतनी परिशुद्धता से बनाया गया है कि वर्तमान तकनीक ऐसी कृति को दोहरा नहीं सकती। विशेषज्ञों के मुताबिक पिरामिड के बाहर पाषाण खंडों को इतनी कुशलता से तराशा और फिट किया गया है कि जोड़ों में एक ब्लेड भी नहीं घुसाई जा सकती।
मिस्र के पिरामिडों के निर्माण में कई खगोलीय आधार भी पाए गए हैं। ग्रेट पिरामिड में पत्थरों का प्रयोग इस प्रकार किया गया है कि इसके भीतर का तापमान हमेशा स्थिर और पृथ्वी के औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के बराबर रहता है। यदि इसके पत्थरों को 30 सेंटीमीटर मोटे टुकड़ों में काट दिया जाए। तो इनसे फ्रांस के चारों ओर एक मीटर ऊंची दीवार बन सकती है। मिस्रवासी पिरामिड का इस्तेमाल वेधशाला, कैलेंडर, सनडायल और सूर्य की परिक्रमा में पृथ्वी की गति और प्रकाश के वेग को जानने के लिए करते थे। पिरामिड को गणित की जन्मकुंडली भी कहा जाता है। इससे भविष्य की गणना की जा सकती है।