एडीजीपी एमएन ने किया था सुपरविजन घटना उजागर होने के बाद जनाक्रोश के मद्देनजर सरकार ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक दिनेश एमएन को भीलवाड़ा भेजा था। आरोपियों की धरपकड़ से लेकर अनुसंधान तक में एमएन का सुपरविजन रहा। कोटड़़ी थाने के तत्कालीन डीएसपी श्यामसुंदर विश्नोई अनुसंधान अधिकारी थे। उन्होंने ही अदालत में जांच पूरी करके चार्जशीट दाखिल की थी।
परिजनों ने तलाशा बेटी के जले अवशेष किशोरी के गायब होने के बाद परिजन गुमशुदगी के लिए कोटड़ी थाने गए थे। वहां पुलिस ने तलाशना दूर परिजनों को टरका रवाना कर दिया था। उसके बाद परिजन ही तलाशते हुए अभियुक्त के डेरे पर गए, जहां उनको कोयला भट्टी में बेटी के जले अवशेष मिले थे। तब परिजनों की सूचना पर ही कोटड़ी पुलिस मौके पर पहुंची थी। इस मामले में लापरवाही बरतने पर कोटड़ी के तत्कालीन थानाप्रभारी खींवराज गुर्जर को निलंबित कर दिया था। दो सिपाही को लाइन हाजिर किया गया था।
इन बेटियों को भी न्याय नहीं दिला पाए थे – 16 मई 2015 को जिले के काछोला थाना क्षेत्र में जंगल में बकरियां चराने गई बारह साल की बेटी की बलात्कार के बाद गला घोंटकर हत्या कर दी गई। इस मामले में आज तक आरोपी पकड़ में नहीं आ पाए है।
– वर्ष-2012 में रायपुर थाना क्षेत्र में एक तेरह साल की बालिका की पत्थर से सिर कुचल कर हत्या कर दी गई। इस मामले में भी आरोपी अब तक हाथ नहीं आए है। वकीलों का पैरवी से इनकार, प्राधिकरण ने दिया अधिवक्ता
इस मामले में वकील समुदाय ने जघन्यकांड को देखते हुए आरोपियों की ओर से पैरवी करने से इनकार कर दिया था। ऐसे में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने सुनील कुमार पारीक को चीफ डिफेंस कैंसिल नियुक्त किया था। पारीक ने ही अभियुक्तों की ओर से पैरवी की थी।
…. हाईकोर्ट में अपील करेंगे मुख्य दो अभियुक्त दोषसिद्ध हुए हैं। शेष आरोपियों के दोषमुक्त होने से उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। फैसले की कॉपी का अध्ययन करने के बाद ही पता चलेगा कि कहां गलती रही। इसकी समीक्षा की जाएगी।
– महावीरसिंह, विशिष्ट लोक अभियोजक सीमित साक्ष्य थे, चश्मदीद नहीं था कोर्ट के फैसले की कॉपी आने के बाद ही आगे का निर्णय किया जाएगा। अपील का रास्ता खुला है। जिन्होंने गैंगरेप किया और शव जलाया, उनको माननीय कोर्ट ने दोषसिद्ध घोषित किया है। लिमिटेड साक्ष्य थे। मामले में चश्मदीद नहीं था। वैज्ञानिक अनुसंधान पर पूरा मामला निर्भर था। बॉडी को नष्ट कर दिया था।
– श्यामसुंदर विश्नोई, अनुसंधान अधिकारी