छिंदवाड़ा. जब किसी जिले का बच्चा यूपीएससी परीक्षा क्वालिफाई करता है तो न केवल वह जिला बल्कि प्रदेश और देश गौरवान्वित होता है। हालांकि वर्षों से हमारे छिंदवाड़ा जिले को यह सुखद अवसर नहीं मिल पा रहा है। मुख्यालय में 40 से अधिक जगहों पर यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कराने के लिए कोचिंग तो जरूर खुले गए हैं, लेकिन वर्षों से इनके परिणाम शून्य हैं। जानकारों का कहना है कि छिंदवाड़ा जिले में इस परीक्षा की तैयारी के लिए न ही माहौल है और न ही विद्यार्थियों में रूझान। शायद यही वजह है कि अपने जिले से वर्षों से कोई आईएएस, आईपीएस या आईएफएस नहीं बन पाया है। उच्च कोटी के शिक्षक भी नहीं है। विद्यार्थी भी अपनी सोच विकसित नहीं कर पा रहे हैं। परिणाम यह है कि 15 साल से अधिक समय हो चुका है और छिंदवाड़ा जिले में अब तक एक भी अभ्यर्थी आईएएस बनकर जिले को गौरवान्वित नहीं कर पाया है। भविष्य में भी इसकी संभावना कम लग रही है। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देश की सर्वोच्च, प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षाओं में से एक है। छिंदवाड़ा निवासी असिस्टेंट टे्रजरी अफसर रविन्द्र ने बताया कि बीते दस साल में हमारे जिले से 50 से अधिक विद्यार्थियों ने एमपीपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण कर डिप्टी कलेक्टर, डीएससी, तहसीलदार सहित अन्य पद पर चयनित हुए हैं। इसकी वजह यह है कि जब कोई बच्चा किसी भी सिविल सेवा की परीक्षा में सफल हो जाता है तो सैकड़ों बच्चों को प्रभावित करता है और उन्हें आगे बढऩे के लिए प्रेरित करता है। काफी समय से छिंदवाड़ा में किसी भी विद्यार्थी ने यूपीएससी की परीक्षा क्रैक नहीं की है। इस वजह से भी विद्यार्थियों का रूझान नहीं हो पा रहा है।
हर वर्ष सैकड़ो ंविद्यार्थी करते हैं पलायन
छिंदवाड़ा जिले में सैकड़ों मेधावी विद्यार्थी हर वर्ष 12वीं या फिर स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए सीधे हैदराबाद, इलाहाबाद, इंदौर, भोपाल, दिल्ली की तरफ रूख करते हैं। छिंदवाड़ा निवासी राजेश गुप्ता वर्तमान में दिल्ली में रहकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि छिंदवाड़ा में जब तक माहौल नहंी बनेगा विद्यार्थी यूपीएससी की सोच नहीं बना पाएंगे। अच्छी कोचिंग और सुविधा तो दूर की बात है। राजेश चार बार यूपीएससी की परीक्षा दे चुके हैं और तीन बार वे मेंस क्वालीफाई कर चुके हैं। राजेश कहते हैं कि मेरा सपना है कि मैं आईएएस बनकर ही छिंदवाड़ा वापस आऊं।
छिंदवाड़ा जिले में सैकड़ों मेधावी विद्यार्थी हर वर्ष 12वीं या फिर स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए सीधे हैदराबाद, इलाहाबाद, इंदौर, भोपाल, दिल्ली की तरफ रूख करते हैं। छिंदवाड़ा निवासी राजेश गुप्ता वर्तमान में दिल्ली में रहकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि छिंदवाड़ा में जब तक माहौल नहंी बनेगा विद्यार्थी यूपीएससी की सोच नहीं बना पाएंगे। अच्छी कोचिंग और सुविधा तो दूर की बात है। राजेश चार बार यूपीएससी की परीक्षा दे चुके हैं और तीन बार वे मेंस क्वालीफाई कर चुके हैं। राजेश कहते हैं कि मेरा सपना है कि मैं आईएएस बनकर ही छिंदवाड़ा वापस आऊं।
समय के साथ खर्चा भी अधिक
छिंदवाड़ा जिले में अगर यूपीएससी परीक्षा का अच्छा माहौल हो जाए तो विद्यार्थियों को काफी राहत मिल जाएगी। दरअसल इस परीक्षा की तैयारी के लिए जिले के ही विद्यार्थी जब बड़े शहर में जाते हैं तो उन्हें लाखों रुपए फीस के रूप में खर्च करना पड़ता है। इसके अलावा रहने एवं खाने के लिए भी पैसे लगते हैं। जबकि अगर छिंदवाड़ा में माहौल एवं अच्छी कोचिंग मिल जाएगी तो फिर उन्हें दूसरे शहर की तरफ रूख नहीं करना पड़ेगा और वे सफलता भी हासिल करेंगे।
छिंदवाड़ा जिले में अगर यूपीएससी परीक्षा का अच्छा माहौल हो जाए तो विद्यार्थियों को काफी राहत मिल जाएगी। दरअसल इस परीक्षा की तैयारी के लिए जिले के ही विद्यार्थी जब बड़े शहर में जाते हैं तो उन्हें लाखों रुपए फीस के रूप में खर्च करना पड़ता है। इसके अलावा रहने एवं खाने के लिए भी पैसे लगते हैं। जबकि अगर छिंदवाड़ा में माहौल एवं अच्छी कोचिंग मिल जाएगी तो फिर उन्हें दूसरे शहर की तरफ रूख नहीं करना पड़ेगा और वे सफलता भी हासिल करेंगे।
इनका कहना है..
छिंदवाड़ा जिले के युवाओं में प्रतिभा बहुत है। यूपीएससी परीक्षा की तैयारी अगर मन से करेंगे तो उसमें भी सफलता हाथ लगेगी। विद्यार्थियों को अपनी सोच डेवलप करनी होगी। माहौल धीरे-धीरे ही बनता है। एक विद्यार्थी सफल होगा तो फिर एक के बाद एक आईएएस बनते जाएंगे।
डॉ. पीएन सनेसर, शिक्षाविद्
छिंदवाड़ा जिले के युवाओं में प्रतिभा बहुत है। यूपीएससी परीक्षा की तैयारी अगर मन से करेंगे तो उसमें भी सफलता हाथ लगेगी। विद्यार्थियों को अपनी सोच डेवलप करनी होगी। माहौल धीरे-धीरे ही बनता है। एक विद्यार्थी सफल होगा तो फिर एक के बाद एक आईएएस बनते जाएंगे।
डॉ. पीएन सनेसर, शिक्षाविद्