टोकता हूं तो लोग सामने नहीं खाते
डॉ. राजेन्द्र मीणा ने कहा कि पहले वह कभी कभी गुटखा खा लेते थे। चुपके से खाता था। बाद में सरकार ने गुटखा ओर उसका तंबाकू अलग किया। उसके बाद उन्होंने गुटखा खाना बंद कर दिया। वर्ष 2010- 2011 में उन्होंने गुटखा छोड़ दिया। अब लोगों को टोकता रहता हूं। उन्हें गुटखा से होने वाले नुकसान बताता हूं। इससे कई लोग तो उनके सामने गुटखा खाने से कतराते रहते है। अब लम्बे समय से राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी होने से स्कूल, कॉलेज, पुलिस, अभिभाषक, कारागृह के बंदी, बीड़ी श्रमिक, तंबाकू विक्रेता आदि के साथ कार्यशाला कर उन्हें प्रेरित करते रहते हैं।
2 लाख 20 हजार लोग कर रहे सेवन
गुटखा, तंबाकू, सिगरेट ओर अन्य नशा देने वाले पदार्थो का सेवन छोडऩा बहुत अधिक मुश्किल नहीं है। मन में ठान ले तो यह नामुमकीन नहीं है। अच्छा शक्ति होना चाहिए। कोरोना काल में कई लोगों ने इच्छा शक्ति दिखाई तो उन्हें सफलता भी मिली है। एक संस्था की ओर से पूर्व में किए सर्वे के मुताबिक अकेले बारां जिले में करीब 2 लाख 20 हजार लोग विभिन्न तरह के तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रहे है। ये लोग प्रतिदिन करीब एक करोड़ से अधिक का गुटखा, तंबाकू चबा कर थूक रहे हैं। जिले की करीब 14 लाख की आबादी में से गुटखा व तंबाकू उत्पाद खाने वाले ये लोग प्रतिमाह करीब 33 करोड़ की भारी भरकम राशि इसी पर खर्च कर रहे हैं। इस राशि के बचने से जिले में प्रतिमाह कितने जनउपयोगी विकास कार्य ओर सेवा कार्य किए जा सकते हैं।