नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी ) को लागू हुए आधा महीना निकल चुका है। डवलपर्स से लेकर आम लोगों को इस नए टैक्स स्ट्रक्चर को लेकर मन में पैदा हुए अधिकांश सवालों का जवाब मिल चुका है। हम बायर्स की ओर से एक बार फिर से क्वेरी आने लगी है। मेरा मानना है कि जीएसटी लागू होने का सबसे बडा फायदा होम बायर्स के लिए यह हुआ है कि वे प्रॉपर्टी खरीदने से पहले टैक्स की गणना कर सकते हैं। अभी तक ऐसा नहीं था। कई तरह के अप्रत्यक्ष कर के चलते खरीदने से पहले टैक्स का आकलन करना आसान नहीं था। वहीं, जीएसटी सेे रियल्टी सेक्टर को संगठित करने में मदद मिलेगी।
खरीदने से पहले टैक्स का आकलन हुआ संभव
जीएसटी लागू होने से सबसे बडा फायदा यह हुआ है कि घर खरीदार प्रॉपर्टी की बुकिंग करने से पहले कुल प्रॉपर्टी की कीमत पर लगने वाले टैक्स चुकाना का आकलन आसानी से कर लेंगे। अब तक रियल एस्टेट पर कई तरह के टैक्स लगते थे जिनका उनका भुगतान डेवलपर से लेकर ग्राहकों को करना होता था। इनमें कई तरह के अप्रत्यक्ष करों का पता तो ग्राहक को प्रॉपर्टी खरीदने के बाद ही चलता था। जीएसटी के बाद रियल एस्टेट सेक्टर पर लागने वाला करीब 16 प्रमुख कर और लेवी समाप्त हो गए हैं। इसके चलते होम बायर्स आसानी से अपनी सभी टैक्स देनदारी का पता कर पाएंगे।
खरीदने से पहले कीमत की जानकारी
जीएसटी के बाद होम बायर्स के लिए प्रॉपर्टी खरीदने से पहले सही बजट बनाना आसान हो गया है। पहले फ्लैट की लागत कितनी है यह तो खरीदार को पता होता था, लेकिन टैक्स कितना चुकाना होगा यह पता नहीं होता था। अब होम बायर्स टैक्स से लेकर प्रॉपर्टी की कीमत का पता बुकिंग से पहले कर पाएंगे। ऐसा होने से उनको अपनी आय के अनुसार सही प्रॉपर्टी का चयन और खरीदना पहले से सुगम होगा। इसका फायदा यह होगा कि खरीदार पर वित्तीय बोझ बढऩे का खतरा नहीं होगा।
रियल्टी सेक्टर बनेगा संगठित
जीएसटी और रेरा लागू होने का फायदा रियल्टी सेक्टर को आने वाले समय में मिलेगा। इससे इस सेक्टर को संगठित बनने में मदद मिलेगी। इस सेक्टर के संगठित होने का फायदा भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मिलेगा। एक उद्योग रिपोर्ट के अनुसार देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6 फीसदी योगदान रियल एस्टेट कर रहा है। संगठित होने पर यह हिस्सेदारी बढेगी जिससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगा। अभी भी यह देश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। जीएसटी से देश के संगठित क्षेत्र के डेवलपरों और बिल्डरों को एक समान स्तर पर कारोबार करने की सुविधा होगी। ग्राहक को भी कर संबंधी पूरी जानकारी पहले से ही होगी।
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