मलाईदार पदों पर संविलियन का खेल: प्रोजेक्ट बंद, फिर भी वाटरशेड में अटैच आधा दर्जन चिकित्सक
जिले के पशु अस्पतालों में अमले की कमीग्रामीणों के शिकायतों के बाद भी मेहरवानी जारी
Creamy game of the civilian
सीधी। जल संरक्षण को लेकर माईक्रोप्लान वाटर सेड योजना संचालित की गई थी, जिसमें पशु विभाग के चिकित्सकों का थोक के भाव में संविलियन माईक्रोप्लान में की गई थी, किंतु बीते कुछ वर्षों से माईक्रोप्लान प्रोजेक्ट बंद हो चुका है, इसके बाद भी पशु चिकित्सकों को माईक्रोप्लान वाटर सेड योजना से संविलियन नहीं समाप्त किया गया।
पशु चिकित्सक फरमा रहे आराम
जिससे पशु चिकित्सक वाटरसेड योजना के नाम पर आराम फरमा रहे हैं और पशु चिकित्सालय नहीं पहुंच रहे हैं। जिससे पशुओं का उपचार भगवान भरोसे चल रहा है। मालूम हो कि जिले में माईक्रोप्लान योजना में जमकर बंदरबांट हुआ है। 60 प्रतिशत राशि सीधे कमीशन में खपती थी।
मलाईदार पद पाने के लिए मची थी होड़
इस मलाई के पद पाने के लिए पशु चिकित्सकों में होड़ बाजी मची थी। जिस पर योजना में ज्यादा से ज्यादा पदों पर पशु विभाग के अधिकारियों का जमावड़ा था, किंतु योजना समाप्त हो जाने के बाद भी मुक्त न होकर पशु चिकित्सालय मे जाने से गुरेज बरत रहे हैं।
सांसद की शिकायत पर भी नहीं हुई कार्रवाई
माईक्रोप्लान परियोजना सिहावल में पदस्थ परियोजना अधिकारी डॉ. शिवेंद्र सिंह व सहायक भूपेंद्र सिंह के द्वारा कई कार्य बगैर निर्माण के ही राशि का आहरण कर लिया गया। जिस पर सीधी सांसद रीति पाठक ने जांच कर कार्रवाई करने के लिए कलेक्टर को पत्र लिखा गया था किंतु समुचित जांच करना विभाग के द्वारा उचित नहीं समझा गया। यद्यपि परियोजना अधिकारी शिवेंद्र सिंह को दूसरे मामले में निलंबित किया गया किंतु माईक्रोप्लान घोटाले के मामले में शिवेंद्र व भूपेंद्र सिंह के खिलाफ आज दिनांक तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इनका हुआ संविलियन
पशु विभाग के पांच चिकित्सक परियोजना समाप्त होने के बाद भी डटे हुए हैं। जिसमें पशु चिकित्सा अधिकारी मझौली जेपी पांडेय, सहायक पशु शल्य चिकित्सालय बहरी डॉ. एसएस चौहान, पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी सपही डॉ. भूपेंद्र सिंह, सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी अरुण कुमार बहेलिया शामिल हैं।