Lockdown: घर वापस लौट रहे लोगों की मदद के लिए तैयार किए शेल्टर होम, 1 हजार रुपये भी देने किए शुरू
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. लॉकडाउन की वजह से मजदूरों पर खड़ा हो गया है रोजी-रोटी का संकट. रोज अंधेरे में कर रहे पलायन. प्रशासन ने लोगों की मदद के लिए शेल्टर होम बनाने किए शुरू
नोएडा। कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन से एनसीआर में काम करने वाले लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। मजबूरी में इन्होंने एनसीआर छोड़ना शुरू कर दिया हैं। बॉर्डर पर पुलिस की चेकिंग से बचने के लिए ये लोग सिर पर गठरी रखकर बच्चों को गोद में लेकर महिलाएं और पुरुष रात के अंधेरे में पैदल एक जिले से दूसरे जिले में पहुंच रहे हैं। घर पहुंचने की आस में कोई वाहन भी मिलने की उम्मीद भी लगाए लोगों का कहना कि घर पहुंचकर दोबारा से नए जीवन की शुरुआत करेंगे।
यह भी पढ़ेंः Lockdown के बीच बारिश से किसानों की मुश्किलें बढ़ीं, तीन दिन बाद मौसम होगा साफ रात के अंधेरे में हाईवे और दिल्ली एनसीआर के गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर बॉर्डर पर लोगों की भीड़ है। लोग पैदल अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं। ज्यादातर लोग पूर्वांचल व बिहार से है। इनमें से काफी लोगों को यह भी नहीं पता कि उन्हें अभी कितने किलोमीटर लंबा चलना है। उनके साथ पूरे जीवन की भी पूंजी है, जिसे वे गठरी में बांधे हुए हैं। लोगों का कहना है कि वे मुसीबत की घड़ी में सरकार का पूरा साथ दे रहे है, लेकिन सरकार को चाहिए कि उन्हें घर तक पहुंचाने का उचित इंतजाम करें।
इन्हें दो जिलों के प्रशासनिक तालमेल नही होने का खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। रोडवेज की बसें बंद तो दूसरे जिलों की सीमा में प्रवेश की अनुमति भी नहीं दी जा रही है। जिससे बार्डर पर अफरा-तफरी की स्थिति बनी हुई है। दरअसल, दिल्ली एनसीआर में लाखों मजदूर यहां पेंटर, लकड़ी व लोहे या खेतों में मजूदरी कार्य करते है। इसके अलावा कारखानों में दैनिक मजदूरी करते हैं।
गौतमबुद्ध नगर के उप श्रम आयुक्त पी.के. सिंह ने बताया कि पंजीकृत मजदूरों को एक हजार रुपये की धनराशि भेजनी शुरू कर दी है। दादरी एसडीएम राजीव कुमार राय ने बताया कि अग्रैन इंटर कॉलेज, मिहिर भोज इंटर और शैफाली पब्लिक स्कूल में शेल्टर होम बनाए गए हैं। यहां 15 अप्रैल तक मजदूर व अपने घर लौट रहे लोगों को रहने, खाने और उपचार की व्यवस्था की गई है।
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