वहीं खबरों की माने तो हर्षवर्धन भदौरिया ने तत्कालीन सरकार के दिग्गज नेता के संरक्षण में 2003 से संपत्ति में अचानक बढ़ती चली गई। जिसके बाद उनके खिलाफ शिकायत होने लगी। एंटी करप्शन टीम ने जब अपनी जांच शुरू की तो पाया कि 1 जनवरी 2003 से 29 मई 2017 तक भदौरिया की शुद्ध आय वेतन, भर्ती, एरियर मिलाकर 8,32,324 रुपये थी। लेकिन जांच में पचा चला कि भदौरिया ने अपना प्लॉट और अन्य संपत्ति खरीदने पर 10,63,76,352 रुपये खर्च किए। तभी से टीम जांच में जुट गई।
आपको बता दें कि मूल रुप से इटावा के रहने वाले हर्षवर्धन भदौरिया 1981 को यूपी पुलिस में बतौर सब इंस्पेक्टर तैनाती हुई थी। 2003 तक वह अलग-अलग जिलों में तैनात रहे। इसके बाद 2003 में ही नोएडा प्राधिकरण में तैनाती प्राप्त कर ली।
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सेवानिवृत्त डीएसपी हर्षवर्धन सिंह भदौरिया नोएडा में डी-11 सेक्टर-47 स्थित मकान में रहता है और मेरठ टीम ने कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच के दौरान भदौरिया से जब पूछताछ की गई तो किसी भी सवाल का जवाब उसने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ झूठी शिकायत पुलिस महानिदेशक से की गई थी। जांच में भ्रष्टाचार निवारण संगठन को मेरे खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला था तो मेरे आवास का मूल्यांकन मौजूदा रेट पर किया गया जो गलत है। मैं इस संबंध में न्यायालय की शरण लूंगा।
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