जानिए दीप जलाने के पीछे ये है कहानी
पंडित रामावतार बताते हैं कि धनतेरस पर दीपक जलाने के बहुत ही प्राचीन कहानी है। दरअसल एक बार यमराज ने यमदूतों से कहा लोगों के प्राण हरते समय तुम्हें कभी दुःख हुआ है। इस पर यमदूत ने कहा कि एक बार एक राजकुमार के प्राण हरते समय हमें बहुत दुःख हुआ था। राजकुमार की शादी के चार ही दिन हुए थे। राजकुमार की मृत्यु से राजमहल में चित्कार और हाहाकार मच गया। नववधू का विलाप देखकर हमारा हृदय हमें धिक्कारने लगा। इसके बाद यमदूतों ने यमराज से पूछा कि हे यमदेव कोई ऐसा उपाय बताआें। जिससे प्राणी की अकाल मृत्यु न हो। इस पर यमराज ने कहा कि जो व्यक्ति धनतेरस के दिन मेरे नाम से दीप जलाकर मुझे स्मरण करेगा उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं सताएगा।इसी के बाद से धनतेरस पर खरीदारी के साथ ही शाम के समय यम की पूजा करने के साथ ही दीप जलाया जाता है।
घर के मुख्य दरवाजे पर इस दिशा में जलाएं दीपक
पंडित जी बताते हैं कि यम के लिए शाम के समय मिट्टी के दीपक में सरसो का तेल भरकर यमराज का ध्यान करते हुए दीपक जलाएं। दीपक को घर के मुख्य दरवाजे पर दोनों तरफ बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके रख दें। इससे भगवान यम प्रसन्न होते हैं आैर घर में सभी सदस्यों को अकाल मृत्यु से बचाते हैं।