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आपको बता दे कि बीएसएफ जवान अच्युतानंदन मिश्रा को बुधवार की शाम से पांच दिन की पुलिस रिमांड में लिया गया है। अच्युतानंदन मिश्रा को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सोशल मीडिया के जरिए हनी ट्रैप में फंसाकर बीएसएफ लॉजिस्टिक्स और ट्रूप के मूवमेंट का पता लगाने में उसका इस्तेमाल करती थी।
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फेसबुक पर लाइक और कमेंट कर बिछाया जाता है जाल
एटीस के इंस्पेक्टर जनरल (आईजी) ऑफ पुलिस असीम अरुण ने बताया कि बीएसएफ जवान के किसी गैर फेसबुक यूजर ने महिला बन उसकी फोटो पर सिर्फ लाइक कर हनीट्रैप में फंसाया था। बीएसएफ जवान आईएसआई के बिछाए उस जाल में फंसकर बिना जान पहचान वाले उस फेसबुक यूजर को अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी। सूत्रों ने बताया कि जिस फेसबुक आईडी से मिश्रा को फंसाया गया था उसकी फ्रेंड लिस्ट में 30 अन्य भारतीय शामिल हैं।
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एक अन्य मामले का हवाला देते हुए आईजी ने कहा कि यूपी एटीएस ने हाल ही में एक ऐसे ही अन्य मामले को ट्रैक किया था। जहां राजस्थान के अलवर का एक 19 वर्षीय युवक भी ऐसे ही आईएसआई द्वारा बिछाए गए जाल में फंस गया था। उससे एक हफ्ते पहले पूछताछ की गई थी। उस युवक से भी एक अज्ञात सोशल मीडिया उपयोगकर्ता एक प्रतिष्ठित संगठन के रक्षा पत्रकार के रूप में अपना परिचय देते हुए उससे सशस्त्र बल आंदोलन और रसद के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए कहा। इस अज्ञात सोशल मीडिया उपयोगकर्ता ने बेरोजगार युवक को 4,000 रुपये प्रतिदिन के वेतन पर काम करने का प्रस्ताव दिया। आई जी ने बताया कि युवक को छोड़ दिया गया, क्योंकि उसने अज्ञात सोशल मीडिया उपयोगकर्ता के साथ कोई महत्वपूर्ण जानकारी साझा नहीं की थी।
असीम अरुण ने यह माना कि हाल ही में आईएसआई की तरफ से सोशल मीडिया के जरिए हनीट्रैप में फंसाने के कई ऐसे मामले सामने आए हैं। इसमें किसी भी पोस्ट पर बिना जान-पहचान वाले लोगों द्वारा (जिनमें ज्यादतर लड़कियां होती हैं) लाइक या फिर कमेंट किया जाता है। उन्होंने यह बताया कि आईएसआई इस तरह से न सिर्फ सेना के जवानों को अपने जाल में फंसाती है, बल्कि आम लोगों को भी हनीट्रैप के जाल में फंसा लिया जाता है ताकि महत्वपूर्ण स्थलों और बेहद संवेदनशील सूचनाएं उनसे हासिल की जा सकें।