भू-वैज्ञानिक डा0 कंचन सिंह के अनुसार उत्तराखंड से लेकर मेरठ, दिल्ली और एनसीआर भूकंप के सबसे खतरनाक जोन चार में है। उन्होंने बताया कि चूंकि ये क्षेत्र हिमालय का निचला हिस्सा है। यहां भूमि के करीब 5 किमी की सिस्मेसिक प्लेटों के बीच आपस में काफी गैप आ चुका है। इसका कारण भूमिक्षरण और तेजी से हो रहा वृक्षों का कटान है। इसके अतिरिक्त निर्बाध गति से भूमि से पानी का दोहन भी भूकंप का कारण है।
बुधवार रात करीब 8.52 बजे आए भूकंप के झटकों का केंद्र उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग को बताया जा रहा है। भूकंप की खबर उत्तराखंड से यूपी की पश्चिमी बेल्ट से नोएडा आैर दिल्ली एनसीआर तक फैल गई। यहां पर भूकंप की तीव्रता 5.4 मापी गई है। यहां भी भकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। हालांकि झटके बहुत मामूली थे। गनीमत रही कि इससे कोर्इ नुकसान नहीं हुआ। वहीं लोग सहमे हुए हैं।
आपको बता दें कि सात माह पहले जून में दिल्ली एनसीआर समेत हरियाणा के कर्इ जिलों में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए थे। उस समय भूकंप सुबह के साढ़े चार बजे के आसपास आया था और इसका केंद्र हरियाणा था। जिसके जोरदार झटके नोएडा से सटे अन्य जिलों में भी महसूस किए गये थे।
उत्तराखंड से सटे उत्तर प्रदेश के शहर सहारनपुर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। करीब 8:52 बजे के आसपास ये हल्के झटके महसूस किए गए। इस दौरान भूकंप की सूचना सोशल मीडिया पर तेजी से फैली और लोगों ने घरों से बाहर निकल कर WhatsApp पर यह जानकारी एक दूसरे से शेयर करते हुए बताया कि भूकंप आया था जिसके हल्के झटके शहर में महसूस किए गए हैं।
सहारनपुर से सटे राज्य उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, पिथौरागढ़ और बागेश्वर में भी भूकंप के झटके सहारनपुर से अधिक महसूस किए गए। सहारनपुर के काफी लोग इन पड़ोसी राज्यों के शहरों में रहते हैं और उन्होंने यहां फोन करके अपने परिवार वालों को यह जानकारी दी।