जानिए पूरा मामला खबरों के मुताबिक, नितिन राठी को अपने पिता उदयवीर सिंह राठी की मौत के बाद नोएडा प्राधिकरण में चौकीदार के पद पर नौकरी मिली थी। लेकिन इसके बाद से नितिन जमकर फर्जीवाड़ा करने लगा और करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया। एक मामले में आरोपित नितिन ने फर्जी लेटर पैड पर अलाटमेंट कर 47 लोगों को अपना शिकार बनाया और लाखों रुपये ठग लिए। फर्जीवाड़े के जरिये नितिन ने इन 47 पीड़ितों को प्लाट और फ्लैट का आवंटन किया। इसके बदले में इन पीड़ित लोगों से अवैध तरीके से भारी भरकम राशि वसूली थी।
आरोपी नितिन निलंबित उधर, फर्जीवाड़ा मामले का खुलासा होने के बाद प्रकरण की जांच की गई जिसमें जनवरी, 2015 में प्राधिकरण ने नितिन राठी को निलंबित कर कोतवाली सेक्टर-20 में मुकदमा दर्ज कराया गया। विवेचना अधिकारी ने एक रिपोर्ट न्यायालय में दायर की। इसमें छह नवंबर, 2017 को नितिन राठी पर चार्ज फ्रेम किया गया। इसके बाद आरोप पत्र जारी कर नितिन राठी से जवाब मांगा गया। शिकायतकार्ताओं के प्रकरण को भी सुना गया। एक शिकायतकार्त ने अपने बयान में लिखा कि आरोपी नितिन ने खोड़ा के ग्रीन इंडिया प्लेस माल में जिविका कंसलटेंट नाम से कार्यालय बना रखा है जिसमें उसने कंसलटेंट कंपनी की आड़ में 47 लोगों से ठगी की है।
ऐसे लोगों को जाल में फंसाता था नितिन दरअसल, नितिन राठी ने 2015 में रद प्लाट और लेफ्ट आउट फ्लैट की प्राधिकरण ने आवासीय स्कीम निकाली। वह तमाम आवेदन पत्र भरने के दौरान चौकीदार लोगों से संपर्क कर रहा था। उनसे कहता था कि रुपये खर्च करो तो वह आवंटन करा सकता है। वहीं ड्रा होने पर चौकीदार कहता था कुछ प्लाट और फ्लैट बचाकर रख लिए गए हैं। साथ ही कुछ ऐसे भी प्लाट या फ्लैट होते है, जिनका किसी न किसी कारण से आवंटन निरस्त हो जाता है। चौकीदार उन्हीं के फर्जी कागजात थमाकर लोगों से रुपये ले लेता था और प्राधिकरण में भी किस्त के रूप में कुछ रकम जमा करा देता था।