नोएडा। हां, ये सच है कि हल्की तीव्रता वाले लेजर से न केवल डायबिटीज का इलाज किया जा सकता है बल्कि हाई ब्लड प्रेसर, दर्द ठीक करने के साथ घावों को भी जल्दी भरा जा सकता है। एनसीआर की एक क्योर कंपनी ने इसे तैयार किया है।
नोएडा की एक कंपनी ने ऐसा डिवाइस विकसित किया है। कंपनी का कहना है कि वह लोगों पर इसके परीक्षण भी कर रही है। सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। ये डिवाइस एक घड़ी जैसा है। जिसे हथेली पर रोज महज आधे घंटे तक पहनना होता है। इसे लो लेबल लेजर थेरेपी या लो लेबल लाइट थेरेपी भी कहा जाता है।
बॉयो फोटोकेमिकल प्रभाव
इसमें डिवाइस को पहनने से शरीर में फोटोकेमिकल प्रभाव होते हैं। बहुत ह्ल्की लेजर की किरणें शरीर की कोशिकाओं में उसी तरह के बॉयोकेमिकल प्रभाव डाली हैं, जिस तरह प्रकाश किसी पौधे पर फोटोसिथेंसिस प्रक्रिया के जरिए प्रभाव पैदा करता है। इससे कोई नुकसान नहीं होता। यानि कोई साइड इफेक्ट नहीं।
अमेरिका और जर्मनी में प्रचलित
इस तरह की लेजर चिकित्सा जर्मनी, अमेरिका और यूरोप के कई देशों में प्रचलित है लेकिन भारत में अब तक ऐसी कोई शुरुआत नहीं हुई है। इस तरह की डिवाइस को जर्मनी और अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग अपनी मंजूरी दे चुके हैं। इसमें हल्की लेजर किरणों की वेबलेंग्थ्स 650 एनएम होती है। इस तरह की वेबलेंग्थ वाली लेजर से त्वचा के आसपास से जुड़े रोगों के मुफीद पाया गया है। ये एकतरह से खून के विकारों को भी दूर करती है। खासतौर पर त्वचा से जुड़े रोगों में काफी फायदेमंद मानी गई है।
किस तरह डायबिटीज में फायदेमंद
इस डिवाइस को हथेली में लगाने से ये रेडिएशन के जरिए जो जैवकीय बदलाव शरीर में होते हैं. कंपनी की वेबसाइट www.laserbasket.com के अनुसार, इससे शरीर की कोशिकाएं सामान्य तरीके से इन्सुलिन को बनाना शुरू कर देती हैं, जिससे शरीर के ज्यादा ग्लूकोज का उपयोग होना शुरू होता है और रक्त में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य स्तर पर आ जाती है।
कई और मर्जों की भी है लेजर डिवाइस
कंपनी के प्रमुख विकास वाही कहते हैं कि उन्होंने स्थानीय स्तर पर कई तरह के लेजर डिवाइस विकसित कराए हैं, जो शरीर में दर्द, एस्टियोपोरेसिस, हार्ट अटैक, ब्लड प्रेसर में उपयोगी हैं।