यह भी पढ़ें : इस बार नहीं चखने को मिलेगा मेरठ के दशहरी, लंगड़ा व चौसा का स्वाद, 60 फीसदी से अधिक फसल बर्बाद मामला चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय रोड पर बनी झुग्गी झोपड़ियों से जुड़ा है। दोपहर एक कार झोपड़ी के बाहर आकर रुकी। कार से ड्राइवर के अलावा एक बुजुर्ग व्यक्ति नीचे उतरे और झोपड़ियों की ओर बढ़ गए। इस व्यक्ति के हाथ में एक बैग था। दूसरे ही पल सभी हैरान रह गए। उस व्यक्ति ने बैग से रुपए निकाले और वहां हर झोपड़ी में रहने वाले व्यक्ति को बांटने शुरू किए। काफी देर यहां रहने वाले लोग भी कुछ समझ नहीं पाए। बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा कि संकट का समय है, यह पैसे उनके बहुत काम आएंगे। इसके बाद उस व्यक्ति ने धीरे-धीरे सभी झोपड़ियों में रुपए बांट दिए और आगे बढ़ गए। काफी देर लोग उस व्यक्ति के बारे में बात करते रहे। ऐसा लगा जैसे कोई फरिश्ता आया और उनके चेहरे पर मुस्कान देकर लौट गया।
यह भी पढ़ें: रेड से ऑरेंज जोन में आया गाजियाबाद, ये जिले हैं रेड जोन में ‘अरे भाई…नाम जानकर क्या करोगे मेरा’ कार से उतरा व्यक्ति बेहद बुजुर्ग था। कुछ लोगों ने उनसे उनका नाम और पता जानने का प्रयास किया तो वह टाल गए। वह हंसकर बोले भाई आप मेरा नाम जानकर क्या करोगे? मैं इस शहर का ही रहने वाला हूं। रिटायरमेंट के बाद मेरी पेंशन आती है,जिसको मैं खर्च नहीं कर पाता। अखबारों में खबर पढ़कर वह अपनी पेंशन से इन गरीब परिवारों की मदद करने निकले हैं। यह सुनकर वहां खड़े लोगों की आंखें भर आई। सभी ने बुजुर्ग को धन्यवाद दिया। इसके बाद वह अपनी कार में बैठकर वहां से चले गए।
यह भी पढ़ें : सहारनपुर नगर निगम ने 35 दिन में खाने के 5 लाख पैकेट का किया वितरण ‘हर घर को दी एक हज़ार की मदद’ कार से उतरकर गरीब परिवारों की मदद करने वाले बुजुर्ग काफी संपन्न परिवार से दिख रहे थे। कुछ लोगों ने उनकी वीडियो बनाई लेकिन उन्होंने किसी की ओर ध्यान नहीं दिया। जिससे पता चल रहा था कि वह दिखावा करने नहीं आये थे। उन्होंने हर परिवार को नकद एक हज़ार रुपये दिए। किसी परिवार को 500 के दो नोट दिए तो कुछ परिवारों को उन्होंने 200-200 के पांच नोट दिए। इसके बाद वो वहां से चुपचाप चले गए।