नई दिल्ली/नोएडा। बसपा नेता मायावती ने नोटबन्दी के मसले पर सरकार को घेरते हुए कहा कि नोटबन्दी के एक महीने पूरे होने के बावजूद अब तक लोगों को कोई राहत नहीं मिली है। आज की परिस्थिति देखते हुए यह नहीं लगता कि पचास दिन पूरे होने के बाद भी लोगों को कोई राहत मिलेगी। इसलिए पीएम मोदी को अपना फैसला वापस लेना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपने गलत फैसले के लिए देश से माफ़ी मांगने की बात भी कही।
चुनावी लाभ के लिए की नोटबंदी: मायावती
बीजेपी पर राजनीतिक लाभ के लिए देश को मुश्किल में डालने का आरोप लगाते हुए मायावती ने कहा कि भाजपा ने यह फैसला सिर्फ चुनावी लाभ के लिए लिया है। उसने चुनाव में सौ दिन में कालेधन को वापस लाने का वायदा किया था, लेकिन ऐसा करने पर असफल रहने के बाद सवालों से बचने के लिए नोटबन्दी का गलत फैसला ले लिया। उन्होंने कहा कि अब बीजेपी को यह बताना चाहिए कि उसके इस कदम से अब तक कितना कालाधन वापस आया।
जनता सिखाएगी सबक
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि पीएम को खुद इस मुद्दे पर सामने आना चाहिए और लोगों के सवालों का जवाब देना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री पर नोटबन्दी के मुद्दे पर संसद से भागने का भी आरोप लगाया और कहा कि उन्हें सवालों का सामना करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की जनता उन्हें अपनी तकलीफों के लिए माफ़ नहीं करेगी और आने वाले चुनाव में उन्हें सबक सिखाएगी।
जमीन खरीदने के लगे आरोप
बता दें कि बसपा नेता ने पहले भी बीजेपी पर नोटबन्दी के मामले में संगीन आरोप लगाये हैं। उन्होंने बीजेपी पर अपने कालेधन को पहले ही ठिकाने लगा देने और कालेधन से बिहार के कई जिलों में पार्टी के लिए ज़मीन खरीदने का आरोप भी लगाया था।
हालांकि बीजेपी ने मायावती के आरोपों का जवाब देते हुए कहा था कि यह आरोप बिलकुल निराधार है और पार्टी को मिले चंदे हमेशा की तरह मिल रहे चंदे के अनुपात में ही हैं। ज़मीन की खरीददारी को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी के विस्तार के लिए बनाई गयी पुरानी योजना का हिस्सा बताया।