तोमर का कहना है कि ड्रग्स और हथियारों के बाद ह्यूमन ट्रैफिकिंग दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑर्गनाइज़्ड क्राइम है। 80% मानव तस्करी जिस्मफ़रोशी के लिए होती है। एशिया की अगर बात करें, तो भारत इस तरह के अपराध का गढ़ माना जाता है, ऐसे में हमारे लिए यह सोचने का विषय है कि किस तरह से हमें इस समस्या से निपटना है।
मानव तस्करी में अधिकांश बच्चे बेहद ग़रीब इलाकों के होते हैं। मानव तस्करी में सबसे ज़्यादा बच्चियां भारत के पूर्वी इलाकों के अंदरूनी गांवों से आती है।अत्यधिक ग़रीबी, शिक्षा की कमी और सरकारी नीतियों का ठीक से लागू न होना ही बच्चियों को मानव तस्करी का शिकार बनने की सबसे बड़ी वजह बनता है।
इस कड़ी में लोकल एजेंट्स बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये एजेंट गांवों के बेहद ग़रीब परिवारों की कम उम्र की बच्चियों पर नज़र रखकर उनके परिवार को शहर में अच्छी नौकरी के नाम पर झांसा देते हैं। ये एजेंट इन बच्चियों को घरेलू नौकर उपलब्ध करानेवाली संस्थाओं को बेच देते हैं. आगे चलकर ये संस्थाएं और अधिक दामों में इन बच्चियों को घरों में नौकर के रूप में बेचकर मुनाफ़ा कमाती हैं।
ऐसे में समाजसेवी रंजन तोमर ने यह मांग की है कि रेलवे विशेष अभियान चलाये जिससे हर प्रकार की मानव तस्करी को रोका जा सके। ज़रूरत पड़े तो संसद कानूनों में ज़रूरी बदलाव भी लाये जिससे इस प्रकार के घिनोने कृत्य करने वालों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जा सके।