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इस हादसे में 6 पुरुष, 2 महिला एवं एक डेढ़ साल की बच्ची को मिलाकर कुल 9 शव निकाले गए। इस ऑपरेशन में एनडीआरएफ के 200 से भी ज्यादा लोगों ने राहत एवं बचाव कार्य किया। इस दौरान 3 डॉक्टर सहित 9 अधिकारी, 21 अधीनस्थ अधिकारी, 170 जवान, 8 डॉग, 16 गाड़ियां एवं लगभग 100 सीएसएसआर (Collapse structure search & rescue) के उपकरणों द्वारा राहत एवं बचाव का कार्य किया गया। वर्ष 2013 में आई उत्तराखंड के केदारनाथ आपदा व नेपाल का विनाशकारी भूकंप के बाद यह 8वीं बटालियन गाजियाबाद द्वारा चलाया सबसे लंबा ऑपरेशन था जो कि लगातार 66 घंटे तक चला।
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एसडीआरएफ के सौ से ज्यादा लोग मौके पर रहेंगे तैनात
वहीं जानकारी के अनुसार शुक्रवार शाम को एनडीआरएफ की टीम मौके से चली गर्इ। लेकिन मौके पर एसडीआरएफ की सौ लोगों की टीम मौके पर तैनात रही। एसडीआरएफ आैर पुलिस की टीमें मौके पर तैनात रही। ये टीमें अभी भी मौके पर आॅपरेशन चलाकर मलबे को हटा रही है। अधिकारियों के अनुसार एसडीआरएफ की टीम मौके से पूरी जांच के बाद ही जाएगी।
बदबू आैर संक्रमण की वजह से किया गया छिड़काव
घटना के तीन दिन बाद शुक्रवार को रेस्क्यू आॅपरेशन के दौरान बदबू फैलने लगी है। इसको लेकर टीमाें आैर तेज काम शुरू किया। जिसके बाद एनडीआरएफ को एक कटा हुआ हाथ मिला। अधिकारियों ने दावा किया यह बदबू कटे हुए हाथ की वजह से आ रही थी। बाकी मलबे में कोर्इ शव नहीं दबा हुआ है। नौ शव निकाले जा चुके है। वहीं बदबू आैर संक्रमण फैलने से बचाव के लिए छिड़काव कराया गया। सीएमओ डॉक्टर अनुराग भॉर्गव ने बताया कि मौके पर एंटी इंफेक्शन स्प्रे का छिड़काव कराया जा रहा है। इससे संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाएगा। वहीं मौके पर एसडीआरएफ आैर पुलिस की टीम बाकी बचे मलबे को हटाने के साथ ही जांच में जुटी है।