दरअसल, वेस्ट यूपी को शुगर बाउल के नाम भी जाना जाता है। कारण, यहां गन्ना मुख्य फसल के रूप में उगाया जाता है। वेस्ट यूपी शुगर मिल एसोसिएशन का कहना है कि इस वर्ष गन्ने की अच्छी फसल होने के कारण चीनी का बंपर उत्पादन हुआ है। अभी पुराना स्टॉक भी बचा हुआ है। जिसके चलते अंतराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती कीमतों का भारत में असर पड़ने की संभावन बहुत कम है। जानकारों का कहना है कि अन्य देशों में चीनी का उत्पादन घटने का लाभ भारत को मिल सकता है। बढ़े दामों में चीनी को निर्यात कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। वहीं सरकार ने भी इस वर्ष 60 टन चीनी एक्सपोर्ट के लिए 3500 करोड़ की सब्सिडी मंजूर की है। बताया जा रहा है कि चीनी मिलों द्वारा दो महीने में ही 32 लाख टन चीनी निर्यात करने के ऑर्डर भी ले लिए गए हैं।
यह भी देखें: विकास प्राधिकरण के वेबिनार में खुलकर बोली महिलाएं इस वर्ष 20 प्रतिशत अधिक उत्पादन फरवरी मध्य तक देश में 208.89 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। जो पिछले वर्ष 170.01 लाख टन था। यानी इस वर्ष 20 प्रतिशत अधिक चीनी का उत्पादन भारत में हुआ है। जानकारों का कहना है कि यदि भारत चीनी निर्यात भी करता है तो भी घरेलू बाजार में इसका असर नहीं पड़ेगा। भारत के पास डिमांड से लगभग दोगुना स्टॉक इस समय है।