विधान परिषद चुनाव में भाजपा ने वेस्ट यूपी के इन दो नेताओं पर लगाया दांव, यह है इन नेताओं का बैकग्राउंड कांता कर्दम की भी हैं खास बताया जाता है कि डॉ. सरोजनी अग्रवाल नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद कांता कर्दम की भी खास हैं। सरोजनी अग्रवाल जुलाई 2017 में अपनी विधानपरिषद सीट छोड़कर भाजपा में आई थीं। उनकी इस सीट से उप मुख्यमंत्री
दिनेश शर्मा एमएलसी बने थे। इस बार उन्हें विधानपरिषद भेजकर पार्टी ने रिटर्न गिफ्ट दिया है।
यमुना एक्सप्रेस-वे पर चलती कार में गैंगरेप, विदेशी छात्र से लूटपाट 2009 में पहुंची थीं विधानपरिषद डाॅ. सरोजिनी अग्रवाल पेश्ेा से चिकित्सक हैं। वह करीब दो दशक तक समाजवादी पार्टी की वफादार रहीं। पिछले साल उन्होंने भाजपा का दामन थामा। 1995 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने डाॅ. सरोजिनी अग्रवाल को पार्टी ज्वाइन करार्इ थी। 1996 से 2010 तक उन्हें सपा में बड़ी जिम्मेदारी दी गई। इस दौरान वह पार्टी की राष्ट्रीय सचिव भी रहीं। 2009 में पार्टी की तरफ से उन्हें विधानपरिषद भेजा गया। इसके बाद 2015 में उन्हें फिर एमएलसी बनाया गया।
अक्षय तृतीया 2018: भूलकर भी न करें ये छह गलतियां, नहीं तो मां लक्ष्मी हो जाएंगी नाराज सपा में पारिवारिक युद्ध के बाद छोड़ दी थी पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव से पहले सपा शुरू हुए पारिवारिक युद्ध के बाद उन्होंने पिछले साल भाजपा का दामन थाम लिया था। इनको पूर्व कैबिनेट मंत्री
आजम खान का भी करीबी माना जाता है। आजम खान जब भी मेरठ आए, सराेजनी अग्रवाल के घर जरूर पहुंचे। बताया यह भी जा रहा है कि जब सरोजनी अग्रवाल सीट छोड़कर भाजपा में अई थीं, तभी उन्हें विधानपरिषद भेजने का भरोसा दिलाया गया था।