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नोएडा

तीन तलाक के बीच एक बार चर्चा में है अध्यादेश, जानिए क्या होता है अध्यादेश, किसका हाथ होता है अध्यादेश लाने के पीछे

Triple Talaq Ordinance के बीच एक बार फिर अध्यादेश के है चर्चा है लेकिन क्या आप जानते हैं क्या है अध्यादेश (what is Ordinance ), और क्या है अध्यादेश बिल(what is ordinance bill ) जाने यहां विस्तार से।
 

नोएडाSep 19, 2018 / 02:17 pm

Ashutosh Pathak

Ordinance

तीन तलाक के बीच एक बार चर्चा में है अध्यादेश, जानिए क्या होता है अध्यादेश, किसका हाथ होता है अध्यादेश लाने के पीछे

नोएडा। लंबे समय से तीन तलाक बिल पर कैबिनेट के अध्यादेश लाने के बाद एक तीन तलाक बिल एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इसके साथ ही चर्चा में है अध्यादेश, क्या है (what is Ordinance) अध्यादेश, कैसे लागू होता है अध्यादेश, कौन ला सकता है अध्यादेश, अध्यादेश बिल क्या है, अध्यादेश कितने दिन तक रहता है, जैसे तमाम सवालों के जवाब लोग ढूढ रहे हैं। तो आइए जानते अध्यादेश के बारे में।
क्या है मामला-

लंबे समय से तीन तलाक बिल को लेकर खिचतान मची हुई है। लोकसभा में मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल पास करा लिया था लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं होने से यहां बिल पास नहीं हो सका और विपक्ष उसमे संशोधन पर अड़ा रहा। जिसके बाद माना जा रहा था कि सरकार इसे अध्यादेश के रूप में लेकर आएगी और आज बैठक के बाद तीन तलाक बिल पर अध्यादेश को आखिरकार केंद्रीय कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है। जिसके बाद अब सरकार को अगले 6 महीने या संसद के अगल सत्र के समाप्त होने तक बिल को पास कराना अनिवार्य होगा।
क्या है अध्यादेश-

संविधान में कोई भी कानून बनाने के दो तरीके होते हैं, पहला- संबंधित बिल को लोकसभा और राज्यसभा से पास करवाया जाए और दूसरा- अध्यादेश ला कर कानून बनाने की कोशिश। इसमें किसी कानून को जब सरकार आपात स्थिति में पास कराना चाहती है लेकिन उसे अन्य दलों का समर्थन उच्च सदन में प्राप्त नहीं हो रहा है तो सरकार अध्यादेश के जरिए इसे पास करा सकती है।
कितने दिनों के लिए कौन करता है जारी-

अध्यादेश के बाद भी सरकार सरकार की मुश्किल कम नहीं होती क्योंकि यह अध्यादेश सिर्फ 6 महीने के लिए ही मान्य होता है और संसद के सत्र शुरू होते ही एक बार फिर ये बिल को सामान्य तौर पर सभी चरणों से गुजरना पड़ता है। एक बार फिर सरकार के सामने बिल को लोकसभा और राज्यसभा में पास कराने की चुनौती होती है। संविधान के अनुच्छेद 123 के मुताबिक जब संसद सत्र नहीं चल रहा हो तो केंद्र के आग्रह पर राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है।
यहां आपको बता दें कि राष्ट्रपति किसी भी अध्यादेश को प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल की सलाह पर ही जारी करता है। अध्यादेश लाने की प्रक्रिया न तो सामान्य रूप से कानून बनाने की प्रक्रिया का स्थान ले सकती है और न ही लेना चाहिए। लोकतंत्र में ऐसी स्थिति संभव है जब लोकसभा में बहुमत पाने वाली पार्टी को राज्यसभा में बहुमत प्राप्त न हो। ऐसी स्थिति में कानून पारित करने के लिए संयुक्त सत्र बुलाकर बहुमत प्राप्त कर लेना कोई रास्ता नहीं होता है। हालाकि इसे एक अस्थाई प्रक्रिया के तौर पर ही लिया जाता है।

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