कहा जा सकता है कि वीवीआइपी कल्चर समाप्त करने के लिए सुरक्षा वापस लेने का पहले अहम कदम उठाना और फिर पीछे लौटना इस कल्चर को और मजबूत करने वाला साबित होगा। आमतौर पर सुरक्षा एजेंसियां किसी खास मौके पर पहले से मौजूद सुरक्षा और कड़ी करने की व्यवस्था करती हैं न कि उसे वापस लेने की। इसलिए हाई कोर्ट में मान सरकार का यह जवाब, कि ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार की बरसी के कारण वीवीआइपी की सुरक्षा हटाई गई थी, चिंतित करने वाला है। आखिर जिन्हें सुरक्षा मिली थी, वे समाज के प्रतिष्ठित लोग थे और उन्हें आतंकियों का आसान निशाना बनाने के लिए छोड़ देना कहां की बुद्धिमानी समझी जाएगी? सरकार हो या आम आदमी उसके किसी फैसले के पीछे का उद्देश्य और फैसला लेने वाले की नीयत काफी मायने रखती है। पंजाब में पहली बार सत्ता में आई आम आदमी पार्टी की सरकार ने जब 424 वीवीआइपी की सुरक्षा कम करने या समाप्त करने का फैसला किया था तो एक उम्मीद जगी थी कि यह सरकार वास्तव में आम आदमी के नजरिये से काम करना चाहती है। लेकिन इस फैसले का जिस तरह ढिंढोरा पीटा गया और पोस्टर लगाकर सुरक्षा हटाने का ऐलान किया गया, उससे यह शक पैदा होना स्वाभाविक है कि सरकार की कवायद पब्लिसिटी स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं।
जाने-माने गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद हाई कोर्ट ने भी इस बात पर खिंचाई की कि सुरक्षा कम करने की सूचना सार्वजनिक कैसे हुई? ऐसा करना एक तरह से आतंकियों व असामाजिक तत्त्वों को खुला न्योता देना ही है। सुरक्षा कम करने के एक दिन बाद ही हत्या सरकार को कटघरे में खड़ा करने का पर्याप्त कारण देता है। सीमावर्ती पंजाब काफी संवेदनशील रहा है। अस्सी के दशक का इतिहास अभी ज्यादा पुराना भी नहीं हुआ है।